इच्छाओं के सामने आते ही सभी प्रतिज्ञाएं ताक पर धरी रह जाती हैं। - अज्ञात जो आदमी सच्चा कलाकार है, वह स्वार्थमय जीवन का प्रेमी हो ही नहीं सकता। - प्रेमचंद ईएमएस / 14 जुलाई 25
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