राष्ट्रीय
15-Jul-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। केंद्र सरकार ने हाइपरटेंशन कंट्रोल इनिशिएटिव कार्यक्रम का दूसरा फेज देश के 21 राज्यों के 100 जिलों में शुरू कर दिया है। इसमें 5 साल में अब तक 20 लाख से ज्यादा मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, जिनमें से करीब 47% का बीपी नियंत्रण में है। केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम के पहले चरण की शुरुआत 2017 में की थीं, जो 2019 तक कुल 26 जिलों में चला था। इसके नतीजों को देखते हुए इसे अब 104 जिलों तक शुरू किया गया, जहां के करीब 13,821 अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में हाई बीपी की जांच, निगरानी और इलाज की सुविधा का विस्तार हुआ है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसे आईसीएमआर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय मिलकर चला रहे हैं। इसका उद्देश्य है – हाई बीपी की जल्दी पहचान, सही इलाज और लगातार निगरानी करना है। हर साल भारत में लाखों लोग हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों से जान गंवाते हैं, जिनकी मुख्य वजह अनियंत्रित बीपी है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में तो बीपी की जांच और इलाज की पहुंच काफी कम है। वहीं, दूसरी ओर हाइपरटेंशन से जुड़ी बीमारियां भारत के कुल स्वास्थ्य बोझ का बड़ा हिस्सा बन चुकी हैं। आईसीएमआर- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के शोधकर्ताओं के अनुसार, तमिलनाडु ने हाई बीपी को कंट्रोल करने में बड़ी सफलता हासिल की है। 2019-20 में जहां सिर्फ 7.3% मरीजों का बीपी कंट्रोल में था, वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा 17% तक पहुंच गया। सर्वे के दौरान शोधकर्ताओं ने 18 से 69 वर्ष के कुल 8880 वयस्कों की जांच की और इनमें 29.6% हाई बीपी रोगियों की पहचान की। इसी जांच में उन्हें 19.5% लोग डायबिटिक मिले। इस तरह महज तीन साल में नियंत्रण दर दोगुना होने के साथ छह में से एक मरीज का हाइपरटेंशन कंट्रोल में हो गया। निदेशक डॉ. मनोज वी. मुर्हेकर ने कहा कि ये सुधार तमिलनाडु हेल्थ सिस्टम रिफॉर्म प्रोग्राम की बदौलत संभव हुआ है। यह आंकड़े बताते हैं कि यदि राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया जाए तो नॉन कम्युनिकेबल डिसीज पर भी काबू पाया जा सकता है। सुबोध\१५\०७\२०२५