अंतर्राष्ट्रीय
17-Jul-2025
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-नासा का खुलासा, इस भूकंप से कई बार सतह में आ जाती हैं दरारें वाशिंगटन,(ईएमएस)। भूकंप जिसका नाम सुनते ही इंसान की रुंह कांप जाती है। भूकंप धरती की सतह और वहां होने वाली तबाही की तस्वीरें आंखों में झूलने लगती है, लेकिन भूकंप सिर्फ धरती तक सीमित नहीं है? चांद पर भी भूकंप आते हैं जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में मूनक्वेक कहा जाता है। यह बात पहली बार अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने ऐतिहासिक अपोलो मिशनों के दौरान की थी। बता दें 1969 से 1977 के बीच चलाए गए अपोलो 11, 12, 14, 15 और 16 मिशनों के दौरान चांद की सतह पर विशेष यंत्र यानी सीस्मोमीटर लगाए गए थे। इन उपकरणों ने 12,000 से ज्यादा कंपन दर्ज किए गए। इससे यह साफ हो गया कि चांद पर भी भूकंप आते हैं, हालांकि उनकी प्रकृति धरती से काफी अलग होती है। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक मूनक्वेक के कई कारण हो सकते हैं। सबसे अहम कारण पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव है। पृथ्वी और चांद के बीच का गुरुत्व बल इतना ताकतवर है कि यह चांद के अंदर गहराई तक हलचल मचा देता है, जिससे गहरे मूनक्वेक आते हैं। इसके अलावा चांद की सतह पर समय के साथ दरारें पड़ना और टूट-फूट भी मूनक्वेक का कारण होती हैं। चांद पर दिन और रात के बीच तापमान में सैकड़ों डिग्री का अंतर भी सतह में भारी तनाव पैदा करता है। यह बदलाव भी कंपन को जन्म देता है। वहीं, उल्कापिंडों की टक्कर भी चांद पर भूकंप जैसी हलचल पैदा कर सकती है। धरती के मुकाबले चांद पर आने वाले भूकंप कई मायनों में अलग हैं। यहां भूकंप अक्सर कम तीव्रता के होते हैं लेकिन उनकी ऊर्जा लंबे समय तक बनी रहती है। कुछ मूनक्वेक तो 10 मिनट तक कंपन कर सकते हैं। कई बार इससे सतह पर दरारें बन जाती हैं या चट्टानें खिसक जाती हैं। वैज्ञानिकों के लिए यह विषय बेहद दिलचस्प और अहम है क्योंकि भविष्य में चांद पर इंसानी बस्तियां बसाने की योजना बन रही है। नासा का कहना है कि अगर चांद पर कॉलोनी या अंतरिक्ष स्टेशन बनाए गए तो मूनक्वेक एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इमारतें गिर सकती हैं, सिस्टम खराब हो सकता है और लोगों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो सकता है। यही वजह है कि नासा इस खतरे को गंभीरता से ले रहा है और मूनक्वेक्स की दिशा, गहराई और तीव्रता का गहन अध्ययन कर रहा है ताकि भविष्य में चांद पर सुरक्षित निर्माण संभव हो सके। सिराज/ईएमएस 17 जुलाई 2025