21-Jul-2025


इन्दौर (ईएमएस) बगैर सुविधाओं वाले अस्पताल में ऑपरेशन करने के कारण युवक की मौत हो जाने पर डॉ. कुश बंडी व डॉ. खुशबू चौहान के खिलाफ दर्ज गैर-इरादतन हत्या के मामले को निरस्त करने की पुनर्निरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते कोर्ट ने इंकार कर उक्त दोनों डाक्टरों द्वारा दायर याचिका निरस्त कर दी। मामले में डॉ. कुश बंडी व डॉ. खुशबू चौहान के साथ डॉ. देवेंद्र भार्गव को भी आरोपी बनाया गया है। प्रकरण कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि लसूडिया थाने में रिंकू सेन द्वारा एफआईआर दर्ज कराते बताया गया था कि उनके बेटे अमित सेन को 29 मई 2023 को एक्सीडेंट होने के चलते राजश्री नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। नर्सिंग होम में आइसीयू, वेंटिलेटर व ऑपरेशन से जुड़ी अन्य सुविधाओं के बगैर उसका ऑपरेशन उक्त दोनों डॉक्टरों ने उनसे सहमति लिए बिना ही कर दिया। ऑपरेशन के दौरान अमित को एनेस्थीसिया देने से उसका ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल आदि तेजी से कम होने लगा उसकी हालत बिगड़ने पर उसे अपोलो अस्पताल भेजा गया जहां उसकी मौत हो गई। पुलिस ने प्रकरण विवेचना उपरांत चालान कोर्ट में पेश किया जिस पर जेएमएफसी कोर्ट ने दोनों डॉक्टरों और अस्पताल से जुड़े डॉ. देवेंद्र भार्गव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धाराओं में केस चलाने का निर्णय दिया था। जिसके खिलाफ उक्त दोनों डॉक्टरों ने यह पुनर्निरीक्षण याचिका दायर कर उनके खिलाफ दायर एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। याचिका पर सुनवाई दौरान अभियोजन ने कोर्ट को बताया कि जेएमएफसी कोर्ट ने आरोप तय करने के पहले विशेषज्ञों की कमेटी से मामले में जांच करवाई थी उनकी रिपोर्ट में कहा गया था कि जिस राजश्री नर्सिंग होम में अमित सेन का ऑपरेशन हुआ था, वहां आइसीयू, वेंटिलेटर व ऑपरेशन से जुड़ी अन्य तकनीकी सुविधाएं नहीं थीं। यदि ये सुविधाएं होती तो संभवतः युवक की जान बचाई जा सकती थी। अभियोजन तर्क से सहमत हों अपर सत्र न्यायाधीश अयाज मोहम्मद की कोर्ट ने दोनों डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज गैर इरादतन हत्या का केस हटाने हेतु दायर याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके आचरण और उनकी भूमिका विवेचना गुण-दोषों के आधार पर ही संभव है। आनन्द पुरोहित/ 21 जुलाई 2025