23-Jul-2025
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-ना होटल बुक हुए, ना टैक्सियों की आवाजाही जम्मू,(ईएमएस)। पहलगाम आतंकी हमले को तीन महीने गुजर चुके हैं, लेकिन कश्मीर में पर्यटन पटरी पर आने को तैयार नहीं है। टूरिज्म कल्चर अब तक उस झटके से उबर नहीं सका है। डल झील से लेकर लाल चौक तक पर्यटकों के अभाव में सन्नाटा पसरा हुआ दिख रहा है। गौरतलब है कि आतंकी हमले से अब तक का वक्त पर्यटन के लिए यहां का पीक सीजन कहलाता था, लेकिन इस सीजन में ना तो होटल बुक हुए, ना टैक्सियों की आवाजाही दिखाई दी है। हाउस बोट, होटल और ड्राइवरों के लिए आमदनी का सबसे अहम वक्त ठप पड़ा है। इस संबंध में डल झील के हाउस बोट के एक मालिक का कहना था, कि पहले रोजाना 13,500 रुपए की कमाई हो जाती थी, लेकिन इस बार सिर्फ 4 से 5 प्रतिशत ही रही है। बच्चों की फीस तक नहीं भर पा रहे हैं। स्कूल ने बच्चों को परीक्षा में नहीं बैठने दिया। बहुत तकलीफ के बीच वो कह पाए कि कर्ज उठाकर और जेवर बेचकर ग्राहकों की प्री-बुकिंग राशि लौटाई है। आगे क्या होगा सब ईश्वर ही मालिक है। पहलगाम में हुए आंतकी हमले के बाद से श्रीनगर की शान कहे जाने वाले लाल चौक की रौनक मानों कहीं गायब हो गई है। लोकल दुकानदार कह रहे हैं, जवान लड़के कश्मीर छोड़कर बाहर काम करने जा रहे हैं। हमारी तो सरकार से बस यही मांग है कि किसी तरह से रोजी-रोटी चलवा दे। इसके साथ ही गुलमर्ग में भी हालात बेहतर नहीं हैं। पहले दिन के 3-4 हजार की कमाई हो जाती थी, अब 300-400 रुपए में इत्मिनान करना पड़ता है। बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस जुटाना और घर चलाना मुश्किल हो गया है। एटीवी ड्राइवरों की सुनें तो वो बताते हैं, कि पहले हर दिन 10 हजार गाड़ियां आती थीं, अब मुश्किल से 100-150 पहुंच पाई हैं। इस तरह टूरिज्म 80 प्रतिशत तक गिरा है। वहीं दूसरी तरफ जो लोग यहां पर्यटन के लिए पहुंचे वो सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संतुष्ट नजर आए हैं। ताइवान और इटली से आई महिला टूरिस्ट्स ने अपने अनुभव साझा करते हुए जहां यहां की खूबसूरती और लोगों के मिजाज की सराहना की वहीं उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को बहुत अच्छा बताया। इससे संदेश जाता है कि यहां का माहौल अब पूरी तरह सुरक्षित है। ऐसे में स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि सरकार कुछ न कुछ राहत पैकेज जरुर उपलब्ध कराएगी। इसी तरह के सहयोग से पर्यटन और लोगों का कारोबार पटरी पर वापस आ सकेगा। हिदायत/ईएमएस 23 जुलाई 2025