नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक संवेदनशील और चर्चित याचिका पर सुनवाई उस समय टल गई जब मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई)बी.आर. गवई ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ा है, जिन्होंने खुद पर बनी इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती दी है। सीजेआई गवई ने स्पष्ट किया कि वे जस्टिस वर्मा की नियुक्ति में कॉलेजियम का हिस्सा रहे हैं, इसलिए नैतिकता की दृष्टि से इस मामले की सुनवाई करना उचित नहीं होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल जब इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग कर रहे थे, तब सीजेआई गवई ने कहा, हमें इस मामले को नई पीठ के लिए सूचीबद्ध करना होगा। यहां बताते चलें कि जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जांच समिति की उस रिपोर्ट को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें कथित तौर पर कैश रिकवरी मामले में दोषी ठहराया गया था। यह मामला मार्च 2024 का है, जब जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर आग लगी थी और उस स्थान से बड़ी मात्रा में अधजली नकदी मिलने की खबर सामने आई थी। घटना के बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता में तीन-सदस्यीय समिति गठित की गई थी, जिसने 10 दिनों तक जांच कर 55 गवाहों से पूछताछ की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का उस स्टोर रूम पर प्रत्यक्ष या परोक्ष नियंत्रण था, जहां आग लगी और अधजली नकदी मिली। रिपोर्ट के अनुसार, यह आचरण इतना गंभीर है कि उनके पद से हटाने की सिफारिश की जानी चाहिए। इसके आधार पर तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महाभियोग की सिफारिश की थी। अब जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका के जरिए जांच की निष्पक्षता, प्रक्रिया और निष्कर्षों पर सवाल उठाए हैं। हिदायत/ईएमएस 23जुलाई25