26-Jul-2025
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नई दिल्‍ली (ईएमएस)। आजकल गैस और कब्ज जैसी समस्याएं बहुत सामान्य मानी जाती हैं। एक्सपटर्स की मानें तो इनका असर मानसिक स्वास्थ्य तक जा सकता है। अगर कब्ज लंबे समय तक बनी रहे तो यह आपकी याददाश्त पर असर डाल सकती है। व्यक्ति का दिमाग सुस्त पड़ने लगता है और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होने लगती है। धीरे-धीरे यह स्थिति डिमेंशिया जैसी गंभीर भूलने की बीमारी का रूप भी ले सकती है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, जिन लोगों को बार-बार कब्ज की समस्या रहती है, उनमें सोचने-समझने की क्षमता घटने लगती है। उनका मस्तिष्क सामान्य तरीके से काम नहीं करता और वे बार-बार चिड़चिड़ेपन और थकान का अनुभव करते हैं। पेट की खराबी से न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि यह गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। उदाहरण के लिए, टाइप 3 डायबिटीज ऐसी अवस्था जिसमें मस्तिष्क इंसुलिन को सही तरीके से प्रोसेस नहीं कर पाता सीधे दिमाग को प्रभावित करती है। साथ ही, लंबे समय तक साफ-सफाई न होने से कोलन कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, तनाव, कमजोर इम्यूनिटी और मानसिक थकावट जैसी समस्याएं भी पेट के ठीक से काम न करने की वजह से हो सकती हैं। कब्ज क्यों होती है, इसके पीछे कई कारण हैं: जैसे पानी कम पीना, फाइबर युक्त भोजन की कमी, अधिक तला-भुना खाना, शारीरिक गतिविधि की कमी, नींद न पूरी होना और तनाव का बढ़ना। सुबह उठकर गुनगुना पानी पीना, हल्की एक्सरसाइज या योग करना और पूरी नींद लेना भी बेहद ज़रूरी है। इसलिए अगली बार जब आप पेट की किसी समस्या को नजरअंदाज करें, तो यह याद रखें कि एक छोटी-सी कब्ज या गैस की शिकायत भविष्य में आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। कब्ज के कारण सिर्फ शौच की परेशानी ही नहीं होती, बल्कि बदबूदार गैस, मुंह से दुर्गंध, मतली, शरीर में भारीपन और मूड में चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं। इनसे बचाव के लिए रोज़ाना पर्याप्त पानी पीना चाहिए, फाइबर युक्त फल-सब्जियां खाना चाहिए और फास्ट फूड से परहेज करना चाहिए। सुदामा/ईएमएस 26 जुलाई 2025