26-Jul-2025


- पोषण आहार में 858 करोड़ का घोटाला - प्रदेश में 1.36 लाख अति कुपोषित बच्चे जबलपुर (ईएमएस)। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की संयुक्त खंडपीठ ने सभी जिला कलेक्टरों को आदेश दिया है। वह अति कुपोषित बच्चों और बच्चियों की स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करें। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और विनय सराफ की खंडपीठ कर रही है। कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव सहित सभी जिला कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमित सिंह सेंगर, अतुल जैन, अनूप सिंह सेंगर इत्यादि ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने हाईकोर्ट को जानकारी दी, पोषण ट्रैक्रर 2.2 और स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश, कुपोषित बच्चों के मामले में दूसरे नंबर पर है। पोषण आहार में प्रोटीन और विटामिन की कमी के कारण नवजात शिशुओं को पोषण आहार नहीं मिल रहा है। याचिका में कहा गया है,अबोध बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार नहीं दिया जा रहा है। इसमें गंभीर रूप से अनियमिताएं बरती जा रही हैं। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। कैग ने अभी जो रिपोर्ट दी है। उसमें 858 करोड रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। हाईकोर्ट को जानकारी दी गई, प्रदेश में 10 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इसमें से अति कुपोषण बच्चों की संख्या 1.36 लाख है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, सभी जिले के कलेक्टरों से कुपोषित बच्चों और एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से जानकारी मांगी है। 2 साल की प्रियंका वजन 4.3 किलो डबरा में 2 साल दो माह की आदिवासी बच्ची का भी एक मामला सामने आया है। इसका वजन मात्र 4 किलो 300 ग्राम है। यह अति कुपोषण में चार की स्टेज पर पहुंच गई है। इस मामले के सामने आने के बाद इस बच्ची को ग्वालियर रेफर किया गया है। स्वास्थ्य मानकों के हिसाब से इस बच्ची का वजन न्यूनतम 12 किलो होना चाहिए था। इससे अंदाज लगाया जा सकता है। पोषण आहार केवल कागजों पर दिया जा रहा है। लाखों की संख्या में आंगनबाड़ी केंद्र हैं। पोषण आहार के नाम पर सरकारी धन की लूट हो रही है। बाकी सब भगवान भरोसे है। एसजे / 26 जुलाई 25