वैश्विक स्तरपर भारतीय बौद्धिक क्षमता व टैलेंट के बारे में सदियों से दुनियाँ का हर देश जानता है। आज दुनियाँ के अनेक देश भारत के साथ एफटीए की आस लगाए बैठे हैं, भारत राष्ट्रीय हित में डील जरूर करेगा,जैसे ब्रिटेन के साथ की है। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र मानता हूं कि अब भारत की बढ़ती ताकत से प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष,स्वास्थ्य,शिक्षा जैसे अनेक क्षेत्रों के विशेषज्ञ व विकसित देश संज्ञान लेकर अपनी रणनीतियां बना रहे हैं, लेकिन साँच को आंच नहीं भारत अपने ही देश में स्वदेशी टेक कंपनियां को सेवाएं देखकर, नामी टेक कंपनियों से आगे निकलने का हौसला रखकर, मंजिल तक पहुंचने में, जज्बा और जांबाज़ी से पूरी ताकत लगा देगा। आज 26 जुलाई 2025 को भारत के पीएम मालदीव की राजकीय यात्रा से लौटे जहां वे स्वतंत्रता दिवस के मुख्य अतिथि थे, कुछ दिन पहले जो मालदीव भारत आउट के नारों से गूंज रहा था वह आज भारत इन के नारों से सराबोर हो रहा है जिसे देखकर दुनियाँ हैरान है। यह चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ब्रिटेन-भारत का एग्रीमेंट 24 जुलाई 2025 को हुआ था व अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में 24,-25 जुलाई 2025 को ही एआई सम्मिट में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट एप्पल, मेटा जैसी अनेक टेक कंपनियों से कहा कि वे अमेरिकी फर्स्ट को साकार करने के लिए भारत से श्रमिक हायरिंग करना बंद कर अमेरिकीयों को प्राथमिकता दें।बता दें ट्रंप की हालिया घोषणा (24 25 जुलाई 2025 को एआई सम्मिट में) के अनुसार, उन्होंने अमेरिकी टेक कंपनियों जैसे गूगल,माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, मेटा आदि से कहा है कि वे भारत से हायरिंग बंद करें औरअमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा:अमेरिकी कंपनियाँ भारत जैसी जगहों से इंजीनियर और तकनीशियन हायर कर रही हैं।यह उनकी“ग्लोबलिस्ट माइंडसेट” के कारण हो रहा है, जिसे अब खत्म होना चाहिए।उन्होंने तीन एआई फोकज्ड एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स भी जारी किए: एआई इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से बनाने की रणनीति, फेडरैली फुंडेड एआई को पोलिटिकल ने उत्रालिटी का पालन करना, और अमेरिकी एआई एक्सपोर्ट्स को बढ़ाना।अब मुद्दा यह उठा है कि क्या ट्रंप ने उसी दिन यह बयान भारत-ब्रिटेन एफटीए का जवाब है? मेरा मानना है कि नहीं, यह भले ही एक ही दिन निर्णय हुए हो परंतु नीचे पैराग्राफ में हम तथ्यात्मक विश्लेषण से इसका जवाब देंगे।चूँकि ब्रिटेन क़ा, यूरोपीय यूनियन से त्यागपत्र देकर तुरंत भारत से एफटीए करना, भारतीय विदेशमंत्री की चीनी राष्ट्रपति व विदेशमंत्री समक़क्ष से मिलना व ट्रंप का भारत-चीन श्रम हायरिंग प्रतिबंध आदेश का संज्ञान कुछ दूसरे एंगल से लिया जा रहा है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, क्या ट्रंप का भारत- चीन से श्रम हियरिंग प्रतिबंध का आदेश,भारत-ब्रिटेन एफटीए का जवाब है ? एक तथ्यात्मक विश्लेषण। साथियों बात अगर हम ट्रंप द्वारा 24-25 जुलाई 2025 को वॉशिंगटन डीसी में एआई सम्मिट में हायरिंग प्रतिबंध की घोषणा का भारत-ब्रिटेन एफटीए समझौते से कोई संबंध नहीं होने की करें तो ट्रम्प ने कल वॉशिंगटन डीसी में आयोजित एआई समिट में कहा अमेरिका की सबसे बड़ी टेक कंपनियां हमारी आजादी का लाभ उठाती हैं, लेकिन फैक्ट्रियां चीन में लगाती हैं और भारत से लोग भर्ती करती हैं। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां अमेरिकी वर्कर्स को प्राथमिकता दें, यही देश हित में है। ट्रम्प ने टेक कंपनियों के ग्लोबलिस्ट माइंडसेट की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकियों को सबसे पहले नौकरी मिलनी चाहिए। ट्रम्प के मुताबिक विदेशों में फैक्ट्री और कर्मचारियों पर पैसा लगाकर कंपनियां अमेरिकी टैलेंट के हक को मार रही हैं।उन्होंने तीन एआई फोकज्ड एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स भी जारी किए:(1) एआई इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से बनाने की रणनीति, (2) फेदेरैली फूंडेड एआई को पोलिटिकल नेउत्रलिटी का पालन करना, और (3) अमेरिकी एआई एक्सपोर्ट्स को बढ़ाया।अब सवाल उठता है कि क्या यह भारत-ब्रिटेन एफटीए (मुफ्त व्यापार समझौता) के जवाब में लिया गया कदम है? मेरा मानना है नहीं, ट्रंप की घोषणा और एआई सम्मिट में की गई घोषणाएँ संयुक्त राज्य अमेरिका के घरेलू रोजगार व तकनीक राजनैतिक एजेंडे के अनुरूप हैं। इनका भारत ब्रिटेन एफटीए (जो भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच 24 जुलाई 2025 को हुआ) से कोई सम्बंध नहीं है। ट्रंप का जोर अमेरिकी टेक उद्योग को भारत से दूरी बनाने पर है, ताकि अमेरिकी श्रमिकों को अवसर मिलें। इसलिए, ट्रंप के आदेश को एफटीए का जवाब कहना तथ्यात्मक सही नहीं है। साथियों बात अगर हम भारत ब्रिटेन एफटीए के तथ्यों की करें तो,ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन को नए व्यापार साझेदारों की तलाश थी। भारत, एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति और उपभोक्ता बाजार के रूप में, ब्रिटेन के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था। कई वर्षों के वार्ता के बाद, जुलाई 2025 में भारत और ब्रिटेन ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए, जो दोनों देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, निवेश,आईपी और श्रमिक गतिशीलता को लेकर महत्वपूर्ण प्रावधानों से युक्त था। 90 पेर्सेंट उत्पादों पर टैरिफ समाप्त-ब्रिटेन को भारतीय निवेशकों के लिए वीज़ा प्रक्रियाएँ आसान बनाना, डेटा संरक्षण और तकनीकी सहयोग पर विशेष अनुबंधशिक्षा, स्वास्थ्य और रक्षा क्षेत्रों में निवेश प्रोत्साहन यह समझौता भारत के लिए यूरोप के बाहर ब्रिटेन के साथ सबसे बड़ा व्यापारिक करार बन गया। साथियों बात अगर हम ट्रंप द्वारा 24-25 जुलाई 2025 को एआई सम्मिट में हायरिंग प्रतिबंध आदेश के दिए वक्तव्य की करें तो, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में एक बयान देकर टेक जगत में हलचल मचा दी है, उन्होंने अमेरिका की दिग्गज कंपनियों-गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़ॉन, मेटा जैसी फांग कंपनियों से कहा कि वे भारत में लोगों को नौकरी देना बंद करें और केवल अमेरिकियों को प्राथमिकता दें,उनका यह बयान वायरल हो गया, जिसमें वे इन कंपनियों को ग्लोबलिस्ट माइंडसेट का आरोप लगाते नजर आए। ट्रंप ने कहा कि हमारी टेक कंपनियों ने अमेरिका की आजादी का फायदा उठाकर अपने ऑफिस चीन में खोले, भारत में कर्मचारियों की भरती की और मुनाफा आयरलैंड में जमा किया,अब ऐसा नहीं चलेगा, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या कंपनियां ट्रंप की बात मानेंगी?और क्या भारत में हजारों इंजीनियरों की नौकरी खतरे में है? ट्रंप ने टेक कंपनियों से भारत में हायरिंग रोकने की अपील की,टेक कंपनियां भारत में टेक टैलेंट और कम लागत का फायदा उठाना जारी रखेंगी! साथियों बात अगर एफटीए व हायरिंग प्रतिबंध के तथ्यात्मक विश्लेषण की करेंतो,भारत-ब्रिटेन एफटीए से प्रेरित नहीं, बल्कि अमेरिका की आंतरिक राजनीति और रिपब्लिकन वोट बैंक के गणित पर आधारित है।(1) भारत और चीन का विशेष उल्लेख क्यों?भारत और चीन अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में आउटसोर्सिंग के प्रमुख स्रोत रहे हैं। टीसीएस,इनफ़ोसिस, एचसीएल, विप्रो जैसी कंपनियाँ गूगल, अमेज़ॉन, माइक्रोसॉफ्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों को बौद्धिक सेवाएं देती रही हैं।ट्रंप का यह संदेश न केवल चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी को लक्षित करता है, बल्कि भारत जैसे भागीदार देश की भूमिका को भी सीमित करने की कोशिश करता है (2) अमेरिका की घरेलू राजनीति बनाम वैश्विक कूटनीति (अ) ट्रंप का घरेलू एजेंडा -2024 चुनाव में ट्रंप की हार और 2025 में वापसी की तैयारी ने उन्हें पुनः “अमेरिका फर्स्ट”एजेंडे की ओर ले गया है।उन्होंने पहले भी 2016–2020 के कार्यकाल में एच -1बी वीज़ा और आउट सोर्सिंग पर कठोर नीति अपनाई थी।यह घोषणा अमेरिकी मध्यम वर्ग,ब्लू कॉलर वोटर्स और बेरोजगार युवाओं को साधने का प्रयास है। (3) वैश्विक समझौतों पर ट्रंप का दृष्टिकोण-ट्रंप वैश्विक व्यापार समझौतों के आलोचक रहे हैं, जैसे एनएएफटीए, टीपीपी आदि।वह बहुपक्षीय गठबंधनों को अमेरिका के लिए हानिकारक मानते हैं और एकतरफा लाभ की नीतियाँ पसंद करते हैं।इसलिए यह समझना जरूरी है कि ट्रंप की घोषणा भारत-ब्रिटेन एफटीए से प्रेरित नहीं, बल्कि अमेरिका की आंतरिक राजनीति और रिपब्लिकन वोट बैंक के गणित पर आधारित है। (4) क्या यह भारत-ब्रिटेन एफटीए का जवाब हो सकता है?- भारत- ब्रिटेन एफटीए का अमेरिका से सीधा संबंध नहींयह द्विपक्षीय समझौता है, जो यूरोपीय संघ या अमेरिका को प्रभावित नहीं करता।एफटीए के दायरे में अमेरिकी टेक कंपनियाँ या अमेरिकी श्रमिक नहीं आते। (5) भारत-ब्रिटेन साझेदारी से अमेरिका को कोई रणनीतिक खतरा नहीं अमेरिका और भारत स्वयं भी रणनीतिक साझेदार हैं -क्वाड, आईपीईएफ,2+2 वार्ता आदि मंचों पर।भारत-ब्रिटेन एफटीए से अमेरिका की जीडीपी या टेक सेक्टर पर कोई सीधा असर नहीं पड़ता। (6) अमेरिका की कंपनियाँ भारत को आउट सोर्सिंग केंद्र मानती हैं, एआई और आईटी सेक्टर में भारत की प्रतिभा का उपयोग अमेरिका की उत्पादकता को बढ़ाता है।इसपर प्रतिबंध अमेरिका के लिए भी घाटे का सौदा हो सकता है।इस प्रकार ट्रंप का यह कदम भारत- ब्रिटेन एफटीए का उत्तर नहीं, बल्कि स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता (अमेरिकन औतारकय) की सोच का हिस्सा है।भारत सरकार ने अब तक इस पर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी है, जो इंगित करता है कि भारत इसे अमेरिका की आंतरिक राजनीति मानता है, न कि एफटीए के खिलाफ कूटनीतिक कदम। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि क्या ट्रंप का भारत-चीन से श्रम हायरिंग प्रतिबंध का आदेश भारत- ब्रिटेन एफटीए का जवाब है ? एक तथ्यात्मक विश्लेषण ट्रंप का ज़बरदस्त आगाज़- मेक अमेरिका ग्रेट अगेन व अमेरिकी फर्स्ट-टेक कंपनियों को चीन में ऑफिस, भारत में कर्मचारियों की भर्ती, मुनाफा आयरलैंड में जमा अब नहीं चलेगा,भारतीयों में अद्भुत बौद्धिक क्षमता, जबरदस्त टैलेंट,जिस कंपनी में सेवाएं देंगे वह सफलताओं के झंडा गढ़ेगी-उनसे अच्छा अवसर हमारा इंतजार कर रहा है। -संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 29 जुलाई /2025