मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल में 1 अगस्त, 2025 से लागू होने जा रहा नो हेलमेट, नो पेट्रोल नियम, सड़क सुरक्षा को लेकर प्रशासन की गंभीरता और दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है। यह एक ऐसा साहसिक और आवश्यक कदम है जो लाखों लोगों के जीवन को सुरक्षित बनाने की क्षमता रखता है। बेशक, हेलमेट पहनना केवल एक कानूनी बाध्यता नहीं, बल्कि हर दोपहिया वाहन चालक और यात्री के लिए जीवन रक्षक कवच है। यह निर्णय सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों और गंभीर चोटों को कम करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रशासन का यह कदम अचानक नहीं उठाया गया है। यह सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी की सिफारिशों, केंद्र और राज्य सरकारों के निर्देशों और मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा-129 के स्पष्ट प्रावधानों के अनुरूप है, जो आईएसआई मार्क हेलमेट के अनिवार्य उपयोग पर जोर देते हैं। पेट्रोल पंपों को इस अभियान में शामिल करना एक अत्यंत व्यावहारिक और दूरदर्शी रणनीति है। पेट्रोल दोपहिया वाहन चालकों की दैनिक आवश्यकता है और इस आवश्यकता को हेलमेट पहनने से जोड़कर, प्रशासन ने एक ऐसा प्रभावी तंत्र बनाया है जो सीधे नियमों का पालन न करने वालों को प्रभावित करेगा। यह पुलिस चालान या जुर्माना भरने के डर से कहीं अधिक मजबूत प्रेरणा है, क्योंकि कोई भी अपनी यात्रा के बीच में पेट्रोल के बिना नहीं फंसना चाहेगा। यह कदम पेट्रोल पंप कर्मचारियों के लिए थोड़ी अतिरिक्त जिम्मेदारी ला सकता है, लेकिन यह उन्हें राष्ट्रीय हित में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर भी देता है। प्रशासन की ओर से पेट्रोल पंप संचालकों के साथ होने वाली बैठकें और आवश्यक दिशा-निर्देश यह सुनिश्चित करेंगे कि यह नियम सुचारू रूप से लागू हो। इस आदेश की सीमित अवधि (1 अगस्त, 2025 से 29 सितंबर, 2025 तक) को एक परीक्षण या जागरूकता अभियान के रूप में देखा जाना चाहिए। यह प्रशासन को नियम की जमीनी स्तर पर प्रभावशीलता का आकलन करने, संभावित चुनौतियों की पहचान करने और भविष्य में इसे और अधिक स्थायी तथा व्यापक बनाने के लिए आवश्यक सुधार करने का अवसर देगा। यह कोई दिखावा नहीं, बल्कि एक ठोस शुरुआत है जो धीरे-धीरे लोगों की आदतों में स्थायी बदलाव लाएगी। यह नो हेलमेट, नो पेट्रोल नियम सड़क सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे व्यापक और बहुआयामी प्रयासों की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इंदौर में RTO द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस के निलंबन या निरस्तीकरण की चेतावनी और RTO कार्यालय में नो हेलमेट, नो एंट्री जैसे कदम स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीर और संकल्पित है। ये सभी उपाय मिलकर एक ऐसा मजबूत ढांचा तैयार कर रहे हैं जो नागरिकों को सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। नकली और गैर-मानक हेलमेट की समस्या को भी प्रशासन बखूबी समझता है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले ही आईएसआई मार्क वाले हेलमेट को अनिवार्य कर चुका है और 2026 से प्रत्येक नई बाइक के साथ दो आईएसआई-प्रमाणित हेलमेट की अनिवार्यता एक स्वागत योग्य कदम है। नो हेलमेट, नो पेट्रोल जैसा नियम लोगों को हेलमेट खरीदने और पहनने के लिए मजबूर करेगा, जिससे गुणवत्ता वाले हेलमेट की मांग बढ़ेगी और अंततः नकली हेलमेट के बाजार पर अंकुश लगेगा। प्रवर्तन एजेंसियां भी अब अधिक सक्रिय होंगी क्योंकि इस नियम के सफल होने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। सड़क सुरक्षा हर नागरिक की जिम्मेदारी है। प्रशासन अपने स्तर पर साहसिक और नवीन कदम उठा रहा है और अब नागरिकों की बारी है कि वे इन नियमों का पालन कर अपनी और दूसरों की जान बचाएं। यह नियम शुरू में कुछ असुविधा पैदा कर सकता है, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ – सुरक्षित सड़कें, कम दुर्घटनाएं और अनमोल जीवन की रक्षा – निश्चित रूप से इस छोटी सी असुविधा से कहीं अधिक मूल्यवान हैं। इंदौर और भोपाल का यह कदम देश के अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा, जिससे भारत की सड़कें भविष्य में और अधिक सुरक्षित बनेंगी। //ईएमएस/प्रकाश/30 जुलाई 2025