राज्य
30-Jul-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। राजस्थान के एक आदिवासी गांव से जब उस बच्चे को दिल्ली लाया गया था तब वह महज 4 दिन का था। गरीबी से जूझ रहे उसके माता-पिता पहले से कई संतानों को पालने का संघर्ष कर रहे थे और उन्होंने अपनी इस औलाद को एक ऐसे अजनबी के हवाले कर दिया जिसने उन्हें तुरंत राजस्थान के एक आदिवासी गांव से जब उस बच्चे को दिल्ली लाया गया था तब वह महज 4 दिन का था। गरीबी से जूझ रहे उसके माता-पिता पहले से कई संतानों को पालने का संघर्ष कर रहे थे और उन्होंने अपनी इस औलाद को एक ऐसे अजनबी के हवाले कर दिया जिसने उन्हें तुरंत पैसा देने का वादा किया। कुछ घंटों बाद वह तस्करों की गोद में दिल्ली के लंबे सफर पर निकल चुका था। जब तक पुलिस ने उसे बरामद किया वह एक व्यस्त बाजार में खड़ी कार में था और पहले ही बेचा जा चुका था। यह बच्चा दिल्ली पुलिस की ओर उस जांच के तहत बजाए गए तीन बच्चो में से एक है, जिसने बच्चों की तस्करी के एक बड़े खेल का खुलासा किया। इस तस्करी को चलाने वाली अधिकतर वो महिलाएं हैं जो कभी एग डोनर रही हैं। अब इन पर साजिश और करप्शन का केस चल रहा है। तीनों बच्चे चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के पास हैं और पुलिस चौथे बच्चे की तलाश में है। दिल्ली पुलिस की ओर से इस महीने दायर दो हजार पन्नों की चार्जशीट में 11 आरोपियों के नाम हैं जिनमें छह महिलाएं हैं। पुलिस ने इसमें बेहद चौंकाने वाली कहानी का खाका खींचा है जिसमें बताया गया है कि किस तरह राजस्थान और गुजरात के आदिवासी इलाकों में गरीब परिवारों को निशाना बनाया जाता था और नवजात बेटों को 1.5 लाख में खरीदकर दिल्ली के अमीर परिवारों में 5 से 10 लाख रुपये में बेचा जाता था। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/30/जुलाई /2025