मुंबई, (ईएमएस)। संकट के समय जेल प्रशासन को सतर्क करने के लिए अब महाराष्ट्र भर की जेलों में पैनिक बटन लगाया जाएगा। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट को विस्तृत जानकारी दी गई। सरकारी वकील मानकुंवर देशमुख ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मारणे की पीठ के समक्ष राज्य सरकार द्वारा हिरासत में कैदियों की मौतों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी प्रस्तुत की। - क्या है मामला राज्य भर की जेलों में कैदियों को उचित सुविधाएं प्रदान करने के लिए 2008 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक आपराधिक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सभी कैदियों को पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया था। तदनुसार, यह रिपोर्ट गुरुवार को उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई। जेलों में हिरासत में मौतों को रोकने के लिए उठाए गए अन्य निवारक उपायों की विस्तृत जानकारी भी इस रिपोर्ट के माध्यम से उच्च न्यायालय को दी गई। हिरासत में मौत के मामलों की उचित जांच की जाती है। ऐसे स्पष्ट निर्देश सभी जांच अधिकारियों को दिए गए हैं। सरकारी वकील देशमुख ने अदालत को यह भी बताया कि महाराष्ट्र की सभी 60 जेलों और राज्य भर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए, उच्च न्यायालय ने इस आपराधिक जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। * जेल प्रशासन द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम - राज्य की सभी जेलों में 8311 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। - हिरासत में मौतों को रोकने के लिए जेल में लगे सभी प्रकार के हुक हटा दिए जाएँगे। - कैदियों की समय-समय पर काउंसलिंग की जाती है। - कैदियों की नियमित चिकित्सा जाँच की जाती है। - जेल में टीवी, पुस्तकालय, दूरस्थ शिक्षा और कौशल विकास की व्यवस्था भी की गई है। - कैदियों से उनके परिवार नियमित अंतराल पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टेलीफोन और ई-साक्षात्कार के माध्यम से संपर्क करते हैं। संजय/संतोष झा- ०१ अगस्त/२०२५/ईएमएस