* राज्यपाल की अध्यक्षता में गांधीनगर के टाउन होल में बाल शोध विश्वविद्यालय का पाँचवाँ दीक्षांत समारोह आयोजित गांधीनगर (ईएमएस)| देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राचीन भारतीय संस्कृति को उजागर करने तथा भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए विश्व के प्रथम बाल शोध विश्वविद्यालय की स्थापना की। जिसका मुख्य उद्देश्य नव विवाहित दम्पतियों को प्राचीन ऋषियों द्वारा दिए गए संस्कारों का ज्ञान प्रदान करना है तथा इसके माध्यम से हमारे परिवार, समाज एवं राष्ट्र की भावी संतानें संस्कारवान एवं चरित्रवान बनेंगी। राज्यपाल ने किसी भी बच्चे के जीवन में उसकी माँ को प्रथम शिक्षिका बताते हुए कहा कि जन्म के बाद बच्चे के विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी माँ की होती है। जीवन के प्रथम चरण में माँ के व्यवहार, दैनिक जीवन और उसकी आदतों का बच्चे के मानस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक माँ के लिए अपने बच्चे के पालन-पोषण के शुरुआती दिनों में उसकी देखभाल करना बहुत ज़रूरी होता है। उन्होंने कहा कि बच्चे के पालन-पोषण में माँ के साथ-साथ पिता की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। बच्चे के माता-पिता को अपने दैनिक जीवन में मोबाइल फोन जैसी आजकल की विकर्षणकारी चीजों से दूर रहना चाहिए तथा अपने बच्चे को किताबें, योग, शारीरिक खेल और पारिवारिक रिश्तों जैसी चीजें सिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे के जीवन का अगला पड़ाव शिक्षा है, और शिक्षक की ज़िम्मेदारी है कि वह बच्चे को एक श्रेष्ठ नागरिक बनाए जो एक विकसित राष्ट्र के निर्माण में सहायक हो। शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। एक बच्चा घर के बाद दिन का सबसे ज़्यादा समय स्कूल में बिताता है। एक शिक्षक की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने बच्चे को सही आकार देकर एक सुंदर बर्तन में ढाले, ताकि वह जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं को आसानी से हल कर सके और जीवन में सफल हो सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना से शुरू किए गए इस बाल विश्वविद्यालय के कार्यों की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि बाल शोध विश्वविद्यालय बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने तथा उन्हें भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनाने का उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। यह विश्वविद्यालय आज के बच्चों को तैयार करने का अद्भुत कार्य कर रहा है जो एक विकसित राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगा और देश को श्रेष्ठ बच्चे प्रदान करेगा जो समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सिगमंड फ्रायड के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने जन्म के बाद बच्चे की बात की थी, जबकि हमारी प्राचीन संस्कृति में यह ज्ञान मौजूद है कि बच्चा उसी क्षण सभ्य हो जाता है, जब बच्चे के माता-पिता उसे बुलाते हैं। राज्यपाल ने सभी स्नातक विद्यार्थियों को बधाई दी तथा उनसे राष्ट्र निर्माण के कार्य में पूर्ण समर्पण के साथ भाग लेने की अपील की। बाल शोध विश्वविद्यालय का पाँचवाँ दीक्षांत समारोह राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता में गांधीनगर टाउन हॉल में आयोजित किया गया। इस दीक्षांत समारोह में 3 स्वर्ण पदकों सहित कुल 84 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं। जिसमें 58 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को डिग्री तथा 26 शोधकर्ताओं को पीएचडी डिग्री प्रदान की गई। इस अवसर पर राजस्व विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. जयंती रवि ने बाल शोध विश्वविद्यालय की स्थापना की अपनी स्मृतियों को याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचार के बीज से शुरू हुआ यह विश्वविद्यालय आज वटवृक्ष बन गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में यह विश्वविद्यालय न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि बेहतर समाज के निर्माण में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण साबित होगा। अपर मुख्य सचिव ने आगे कहा कि किसी भी समाज की नींव एक अच्छा बच्चा होता है। जिस समाज में बच्चे को जन्म से ही जीवन के विभिन्न चरणों के लिए तैयार किया जाता है, वह समाज आगे चलकर एक विकसित समाज बनता है। इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों को बच्चों को प्रेम, संवेदनशीलता और करुणा के साथ शिक्षित करना है। एक बच्चे के जीवन के पहले हज़ार दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन दिनों में बच्चा जो सीखता है, वह उसके भविष्य में बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है। बाल शोध विश्वविद्यालय इन दिनों बच्चों को खेल के साथ-साथ उत्कृष्ट शिक्षा भी प्रदान करता है ताकि भविष्य में विकसित राष्ट्र के निर्माण में बच्चे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। बाल शोध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी.एस. जोशी ने दीक्षांत समारोह में सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने बाल शोध विश्वविद्यालय की बहुमुखी गतिविधियों की विस्तृत जानकारी भी दी। इस समारोह में गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 5 पुस्तकों, 2 ई-पुस्तकों और बाल अनुसंधान विश्वविद्यालय की वर्ष 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट का अनावरण किया गया। इसके अलावा, बच्चों के समग्र विकास के संबंध में बाल अनुसंधान विश्वविद्यालय और भावनगर के दक्षिणमूर्ति विद्या भवन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर गुजरात विद्यापीठ के कुलपति डॉ. हर्षद पटेल, बाल शोध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नीलेश पंड्या, विश्वविद्यालय के विभिन्न परिषदों के सदस्य, गणमान्य व्यक्ति, विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक उपस्थित थे। सतीश/01 अगस्त