- हर्षद मेहता के बाद शेयर बाजार का सबसे बड़ा घोटाला अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों पर एक बार फिर गंभीर वित्तीय गड़बड़ी एवं धोखाधड़ी के आरोप हैं। सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से जुड़ी 17,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी घोटाले में उनके खिलाफ जांच चल रही है।आरोप है उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की नकली ईमेल आईडी और फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी अनुबंध के लिए बैंक गारंटी जमा थी। इस मामले में उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हो चुका है। जिससे स्पष्ट है, सरकार उन्हें देश छोड़ने का अवसर नहीं देना चाहती है। यह कोई पहला मामला अनिल अंबानी के खिलाफ नहीं है। इससे पहले भी अनिल अंबानी पर विदेशी निवेश के जरिए अपने ही शेयरों को खरीदकर बाजार में हेरफेरी करने के आरोप लग चुके हैं। जिसमें सेबी ने 50 करोड़ का जुर्माना लगाकर मामला “निपटा” कर अनिल अंबानी की कंपनियों को बरी कर दिया था। इस पर केंद्र सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं। कंपनी नियमों का उल्लंघन और शेयर बाजार के घोटालेबाजों को कानून बदलकर सरकार द्वारा अनिल अंबानी और अडानी को बचाया गया है। राफेल डील में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स जैसी अनुभवी सरकारी कंपनी को दरकिनार कर अनिल अंबानी की अनुभवहीन कंपनी को सरकार के हस्तक्षेप से ठेका मिला। जो सरकार की बड़े-बड़े उद्योगपतियों और कारोबारियों के साथ मिलीभगत को उजागर करता है। अनिल अंबानी की कंपनी ने जिस तरह की धोखाधड़ी की है। उससे स्पष्ट है, भारत में “क्रोनी कैपिटलिज़्म” किस हद तक बढ़ चुका है, जहां चुनिंदा उद्योगपतियों को बचाने के लिए सरकारों की नीति, कानून, संस्थाएं और जांच एजेंसियों को झुकना पड़ता है। सरकार और संस्थाओं को बड़े-बड़े उद्योगपति और कारोबारी ही उपकृत कर पाते हैं। जिसके कारण सरकार उनके सामने समय-समय पर झुकती रहती है। आम जनता बैंक लोन नहीं चुका पाए, तो घर छिन जाता है। बड़े पूंजीपति हजारों करोड़ लेकर फरार हो जाते हैं, या बेल पर घूमते हैं, उनको बचाने के लिए सरकार द्वारा नए-नए नियम और कानून बना दिए जाते हैं। इस मामले में सरकार की निष्क्रियता और पक्षपात ना केवल न्याय व्यवस्था में विश्वास को कमजोर करती हैं। बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया पर भी सवाल खड़े करता है। भारत के मीडिया में अब उद्योगपतियों का ही कब्जा है ऐसी स्थिति में उनसे कोई आशा भी नहीं की जा सकती है। मेन स्ट्रीम का मीडिया इन मामलों पर मौन साध लेता है। आज जरूरत इस बात की है, ऐसे मामलों में निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई हो। भारत में जो दोहरे कानून और नियम सरकारों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। उससे आम लोगों का भरोसा अब न्याय व्यवस्था से भी उठने लगा है सरकारों द्वारा बनाए जा रहे नियम कानून को लेकर भी आम जनता के मन में गुस्सा दिखने लगा है। सरकार को सभी के लिए एक से नियम कानून बनाने चाहिए। जिससे लोगों का कानून और नियमों पर विश्वास बना रहे। देश की वित्तीय प्रणाली पर जनता का भरोसा बना रहे। अनिल अंबानी जैसे प्रभावशाली लोग कानून से ऊपर नहीं हैं। भारत के बैंकों और शेयर बाजार में आम निवेशकों का पैसा लगा होता है। जो निम्न और मध्यम वर्ग के होते हैं। वही बार-बार लूटते हैं, यह स्थिति ठीक नहीं है। हर्षद मेहता से बड़ा घोटाला अनिल अंबानी और अन्य उद्योगपतियों द्वारा बड़े पैमाने पर शेयर बाजार में किया जा रहा है। इस मामले में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट भी आई हैं, जो समय-समय पर दबा दी गई हैं। सरकारों की मिलीभगत होने से यह बड़े-बड़े मगरमच्छ खुले आम जनता को लूट रहे हैं। सरकार उनके लिए अलग से नियम कानून बनाकर बचाने एवं संरक्षित करने का प्रयास करती है। जैसा कि अनिल अंबानी के मामले में हुआ है। हजारों करोड रुपए का घोटाला रूपा-दफा करने के लिए पिछली तारीखों से नियम बदल दिए गए गड़बड़ी पर सेबी ने 50 करोड़ का जुर्माना कर मामले को रफा-दफा कर दिया। उसके बाद अनिल अंबानी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए नियम ही पिछली तारीखों से बदलवा दिए। अब उन्ही नियमों के तहत बचने का प्रयास कर रहे हैं। ईडी द्वारा जो कार्रवाई की जा रही है। उसमें भ्रष्टाचार और घोटाले से जुड़े हुए सभी मामलों को उजागर करे। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो आम जनता का विश्वास उठते देर नहीं लगेगी। “नए भारत” की जो परिकल्पना और सपना दिखाया गया है। वह तभी सार्थक होगा। जब क्रोनी पूंजीवाद जो पिछले 11 वर्षों में भारत में बढ़ा है, उसे रोका जाए। पूंजीपति देश की आम जनता को गन्ने की तरह चूस रहें हैं। सरकारें उनकी रखवाली कर रही हैं। सरकार की प्राथमिकता में अब आम जनता नहीं है। जो नियम कानून उद्योगपति बनवाना चाहते हैं, वह सरकारें बनाने का काम कर रही हैं। जिसके कारण अब आम जनता के बीच इसका गुस्सा दिखने लगा है। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहली बार एक ऐसे उद्योगपति पर कार्रवाई की है। जो सरकार के बहुत करीब है। जांच ओर कार्रवाई सही हुई,तभी लोगों का नियम और कानून पर विश्वास बढ़ेगा, अन्यथा भगवान ही मालिक है। ईएमएस / 02 अगस्त 25