02-Aug-2025


भोपाल, (ईएमएस)। मध्यप्रदेश में एमएसएमई प्रोत्साहन योजनाओं के तहत बड़ी आर्थिक अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने 2018 से 2022 के बीच 173 अपात्र उद्योगों को 19.11 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की। हैरानी की बात यह है कि तीन बंद उद्योगों को भी 67 लाख रुपये की सहायता दी गई। कैग रिपोर्ट के अनुसार, एमएसएमई विभाग की पूंजीगत सब्सिडी योजना के तहत केवल उन्हीं उद्योगों को लाभ मिलना चाहिए, जो निर्धारित अवधि (3 या 5 साल) तक सक्रिय रहें। लेकिन छिंदवाड़ा, खरगौन और शाजापुर जैसे जिलों में बंद हो चुके उद्योगों को भी नियमों के खिलाफ सब्सिडी दी गई। इसके साथ ही कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 20 जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों (डीटीआईसी) में 148 ऐसे उद्योगों को 14.37 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई, जो योजना की पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करते थे। इन जिलों में बड़वानी, बैतूल, भोपाल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, देवास, ग्वालियर, इंदौर, झाबुआ, खरगौन, पीथमपुर, मालनपुर, मंडीदीप, मंडला, नीमच, रतलाम, रीवा, शाजापुर, टीकमगढ़ और उज्जैन शामिल हैं। राज्य शासन ने कैग को बताया कि इनमें से 133 प्रकरणों में अतिरिक्त सब्सिडी को आगामी किश्तों में समायोजित किया जाएगा, लेकिन कई मामलों में वसूली की कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। लोक निर्माण विभाग में भी अनियमितता कैग रिपोर्ट ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। 11 पीआईयू द्वारा बनाए गए 19 कॉलेज भवनों और 6 छात्रावासों में एक जैसे निर्माण कार्यों में 10प्रतिशत से लेकर 624प्रतिशत तक लागत अंतर देखा गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदारों को भुगतान करते समय दर अनुसूची में संशोधन नहीं किया गया, कई निर्माणों में दीमक-रोधी उपचार, अग्निशमन व्यवस्था, वर्षा जल संचयन जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल ही नहीं की गईं। बिना उचित कारणों के समयवृद्धि दी गई और अनुमोदन के बिना लागत बढ़ाई गई। कैग की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि एमपी में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में व्यवस्थित लापरवाही और वित्तीय अनुशासन की भारी कमी है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इन गंभीर अनियमितताओं पर क्या कार्रवाई करती है, और दोषियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं। हिदायत/ईएमएस 02अगस्त25