कहा- आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को करना होगा दरकिनार बीजिंग,(ईएमएस)। चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में तुर्की और अजरबैजान के शामिल होने को लेकर भारत ने आपत्ति जताई है। सितंबर की शुरुआत में इस शिखर सम्मेलन में दुनियाभर के 20 देश हिस्सा ले सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी भी इसमें जा सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक सम्मेलन से पहले भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले इन देशों की उपस्थिति एससीओ के उद्देश्यों पर पानी फेर सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत और चीन इस मामले को लेकर आपस में बात कर रहे हैं। दरअसल पहलगाम आतंकी हमले की मुस्लिम देशों ने निंदा की थी और ऑपरेशन सिंदूर पर संतुलित रुख अपनाया था, वहीं तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया था। अजरबैजान पाकिस्तान के साथ भाईचारा इसलिए भी निभा रहा था, क्योंकि आर्मीनिया के साथ उसकी लड़ाई में पाकिस्तान अजरबैजान का ही समर्थन करता है। पाकिस्तान ने आर्मीनिया को देश के रूप में मान्यता भी नहीं दी है। एक तरफ भारत इस मुद्दे पर संतुलित रवैया अपना रहा है तो पाकिस्तान अजरबैजान का एकतरफा समर्थन करता है। बीते महीने जब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन की यात्रा पर गए थे तो उन्होंने भी एससीओ की बैठक के दौरान साफ कहा था कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को दरकिनार करना होगा। उन्होंने कहा था कि एससीओ देशों को मिलकर आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना होगा। बता दें एससीओ के 10 सदस्य हैं। इसका गठन 2001 में चीन में ही किया गया था। इसमें पहले कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान शामिल थे। 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इस संगठन में शामिल हो गए। 2021 में ईरान को भी संगठन में पूर्ण सदस्य बनाया गया। बेलारूस को 10वें पूर्ण सदस्य के रूप में संगठन में शामिल किया गया है। इस बार डायलॉग पार्टनर के तौर पर चीन ने तुर्की, अजरबैजान, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, आर्मीनिया, एजिप्ट, कतर, सऊदी अरब, कुवैत, मालदीव, म्यांमार, बहरीन और यूएई को इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया है। सिराज/ईएमएस 02अगस्त25 --------------------------------