बालेश्वर (ईएमएस)। ओडिशा के बालेश्वर जिले में जलसिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता नव किशोर महालिक को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। विभागीय स्थानांतरण आदेश को न मानते हुए महालिक न केवल अपने पद से हटने को तैयार नहीं हैं, बल्कि उन्होंने नवनियुक्त अधिकारी को चार्ज और चैंबर तक सौंपने से इनकार कर दिया है। इससे विभाग में प्रशासनिक अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। गौरतलब है की जल संसाधन विभाग द्वारा 23 जुलाई 2025 को जारी आदेश के तहत नव किशोर महालिक का स्थानांतरण जलनिकासी विभाग में अधीक्षण अभियंता के पद पर कर दिया गया था। उनकी जगह विक्रम केशरी मल्लिक को जलसिंचाई विभाग, बालेश्वर डिवीजन में अधीक्षण अभियंता के रूप में नियुक्त किया गया। हालांकि, आदेश जारी होने के कई दिन बाद भी नव किशोर महालिक ने न तो चार्ज हैंडओवर किया है और न ही ऑफिस चैंबर की चाबी सौंपी है। इसके उलट, वह कार्यालय आना बंद कर चुके हैं और चैंबर की चाबी लेकर गायब हैं। दूसरी ओर नवनियुक्त अधीक्षण अभियंता विक्रम केशरी मल्लिक को कार्यालय में घुसने तक नहीं दिया जा रहा। कभी वह क्लर्क के पास बैठते हैं, तो कभी पियून के पास, और अंततः बिना किसी कार्य के अपने क्वार्टर लौट जाते हैं। पूरे कार्यालय में भ्रम और असहजता का माहौल है। जल संसाधन विभाग के आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि नव किशोर महालिक का स्थानांतरण हो चुका है, और नए अधिकारी को तत्काल चार्ज दिया जाना चाहिए। लेकिन महालिक कोर्ट का हवाला देकर कार्यभार नहीं सौंप रहे। मीडिया के पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है और कार्यालय खुला है। अब सवाल उठ रहे हैं की आखिर क्यों नव किशोर महालिक स्थानांतरण आदेश को नहीं मान रहे? या फिर उनके पीछे कोई प्रभावशाली ताकत काम कर रही है? एक संदेह यह भी है की क्या पूर्व के किसी घोटाले या जांच से खुद को बचाने की कोशिश हो रही है? ज्ञात हो कि इससे पहले भी जलसिंचाई विभाग के एक पूर्व अधीक्षण अभियंता भ्रष्टाचार के आरोप में विजिलेंस के हत्थे चढ़ चुके हैं। ऐसे में विभाग की छवि और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार के स्थानांतरण आदेशों की अवहेलना करना सेवा नियमों के खिलाफ है। यदि कोई अधिकारी आदेश का पालन नहीं करता, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।