पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे और हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे वीरेंद्र रावत ने बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत पर जुबानी हमला बोला है,वीरेंद्र रावत ने हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र रावत पर क्षेत्र से नदारद रहने के आरोप लगाया है।पिछले दिनों वीरेंद्र रावत ने हरिद्वार में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सांसद त्रिवेंद्र रावत को कई और मामलों पर भी घेरने की कोशिश की ।उन्होंने महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर उन्हें व उनकी पार्टी की केंद्र और राज्य सरकार को घेरने का प्रयास किया। वीरेंद्र रावत ने महंगाई और प्रदेश में सरकारी भर्तियों को लेकर कई सवाल उठाए,साथ ही वीरेंद्र रावत ने कहा कि पूर्व सांसद रमेश पोखरियाल निशंक पर जिस तरह क्षेत्र और लोगों के बीच नदारद रहने के आरोप लगते थे, उसी तरह वर्तमान सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए भी पिछले एक साल में पोस्टर लगाए गए हैं।उनके अनुसार जनता ने कई जगहों पर बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत को ढूंढने पर इनाम तक घोषित कर रखा है।वीरेंद्र रावत का कहना है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरिद्वार के लिए 72 सूत्रीय कार्यक्रमों का मेनिफेस्टो जारी किया था, लेकिन वो जीत नहीं पाए थे, इसीलिए उन्होंने अपना मेनिफेस्टो सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा था, ताकि जनता की भलाई के काम सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के जरिए हो सकें, लेकिन सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक भी कार्य अब तक नहीं कराया है।उन्होंने कहा कि 10 में से 0 नंबर ही मैं सांसद के कार्यकाल को दूंगा। वही उत्तराखंड के हरिद्वार जिले का जमीन घोटाला भी इन दिनों चर्चाओं में है। आरोप है कि जिस जमीन को कोई लाख रुपए में भी नहीं खरीदता था, उस जमीन को हरिद्वार नगर निगम के अधिकारियों ने 54 करोड़ रुपए में खरीद लिया।जो एक बड़ा घोटाला है,इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है, जिसकी रिपोर्ट भी शासन को भेजी जा चुकी है, लेकिन जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले ही हरिद्वार सांसद और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक बयान ने प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है।हरिद्वार जमीन घोटाले को लेकर जब उन्होंने कहा कि अधिकारियों पर तो कार्रवाई हो ही, लेकिन परदे के पीछे कौन लोग हैं यह भी सामने आना चाहिए।सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर बात है कि इतने बड़े अधिकारी कैसे इतनी लापरवाही कर सकते हैं।त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि इस मामले में जांच पूरी हो गई है और अब तक क्या कार्रवाई हुई है, यह स्पष्ट नहीं है। लिहाजा सरकार को इस पर कड़ा एक्शन लेना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी ऐसी हरकत करने से पहले दस बार सोचे, यदि अधिकारी ने किसी की शय पर ये काम किया हो तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।लेकिन मामले में कुछ अधिकारियों का निलंबन करके इतिश्री कर दी गई।हरिद्वार जिले में आचार संहिता के दौरान नगर निगम ने साल 2024 में 33 बीघा जमीन खरीदी थी।बताया जाता है कि इस जमीन की कीमत कुछ लाख रुपए बीघा थी, लेकिन निगम और जिले के कुछ अधिकारियों ने कृषि भूमि को 143 में दर्ज करवाकर 58 करोड़ रुपए में खरीद लिया था। मामला प्रकाश में आने के बाद घोटाले की आशंका जताई गई,मामला सीएम दरबार तक पहुंचा,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच के आदेश देते हुए कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई की और इस पुरे मामले पर जांच बैठा दी थी, जांच कर रहे आईएएस रणवीर सिंह चौहान ने जांच पूरी करके रिपोर्ट शासन को भी सौंप दी है। ऐसे मे स्वयं भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत बी देते है कि हरिद्वार वह जिला है, जहां पर मुख्यमंत्री हफ्ते में एक बार तो आते ही हैं,दुनिया भर से लोग हैहरिद्वार में आते हैं,मैं हरिद्वार का सांसद हूं, इसीलिए हफ्ते में दो से तीन दिन हरिद्वार जाता हूं। फिर भी अधिकारी इस तरह का घपला करते हैं तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हरिद्वार में जमीन से जुड़ा ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऋषिकुल की भूमि हो या मेला क्षेत्र की, इन जमीनों की भी कुछ सरकारी अधिकारियों ने बंदरबांट करने की कोशिश की है।हरिद्वार में जमीनों के रेट आसमान छू रहे हैं। इसीलिए अधिकारी कुछ लोगों के साथ मिलकर जमीनों की बंदरबांट करने में लगे हुए हैं, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले से हरिद्वार और राज्य की छवि खराब हो रही है।सवाल उठता है सरकार स्वयं भाजपा सांसद त्रिवेंद्र रावत की पार्टी की है,फिर चाहे राज्य में हो या केंद्र में ऐसे में घोटाला चाहे अधिकारी करे या कोई ओर जिम्मेदारी तो उनकी भी सरकार का जनप्रतिनिधि होने के नाते बनती है। तभी तो कांग्रेस ने पूछा है कि जांच के बाद क्या हुआ? त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस बयान के बाद कांग्रेस भी अब इस मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछ रही है।कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना कि इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है, फिर भी सरकार जांच क्यों सार्वजनिक नहीं कर रही है?उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले से यह साफ जाहिर हो गया है कि राज्य में अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से किस तरह से घपले और घोटाले हो रहे हैं। इस मामले पर तुरंत कोई एक्शन होना चाहिए वरना जांच का कोई फायदा नहीं है।उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खनन को लेकर भी अपनी ही सरकार पर तीखा हमला बोला है, हाल ही में संसद में अवैध खनन का मुद्दा उठाने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक निजी चैनल पर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, शेर कभी कुत्तों का शिकार नहीं करते. उनके इस बयान के बाद राज्य की सियासत गरमाई हुई है।त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह बयान खनन सचिव बृजेश कुमार संत के उस दावे के बाद आया है, जिसमें संत ने कहा था कि उत्तराखंड में पिछले 25 वर्षों में इस साल सबसे अधिक खनन राजस्व प्राप्त हुआ है। ब्रजेश कुमार संत ने आंकड़े पेश करते हुए कहा था कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य को खनन से लगभग 1100 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो कि राज्य के गठन के बाद का अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है।राजस्व सचिव का यह बयान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा संसद में अवैध खनन का मुद्दा उठाने के बाद आया है।जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। उन्होंने सरकार से सवाल किया था कि इस खनन पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। रावत का आरोप था कि अवैध खनन के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, लेकिन सरकार इस पर सख्ती नहीं बरत रही।जो सीधे सीधे राज्य की भाजपा सरकार को घेरना ही कहा जायेगा।इस पर खनन सचिव बृजेश कुमार संत ने बयान जारी कर दावा किया था कि खनन से होने वाला राजस्व पिछले वर्षों की तुलना में इस साल सबसे अधिक रहा है।उन्होंने कहा कि अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए सरकार ने टेक्नोलॉजी और टास्क फोर्स का सहारा लिया है, जिससे चोरी का खनन रुका है और राजस्व में इजाफा हुआ है।संत ने कहा, आज तक जब भी वित्त विभाग ने टारगेट दिया, हमने उसे न केवल पूरा किया, बल्कि 200 करोड़ रुपये ज्यादा सरप्लस राजस्व जुटाया।बृजेश कुमार संत ने ट्रकों के रात में चलने को लेकर भी सफाई भी दी,उन्होंने कहा कि स्टोन क्रेशरों से निकलने वाला माल वैध रूप से ही निकलता है। उन्होंने कहा, रात में ट्रकों के चलने का कारण अवैध खनन नहीं बल्कि यातायात का दबाव कम करना है। दिन में तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की आवाजाही के कारण ट्रकों का निकलना मना है, ताकि हादसों की संभावनाएं कम रहें। खनन सचिव के इस बयान के बाद जब दिल्ली में एक निजी चैनल की पत्रकार ने त्रिवेंद्र रावत से इस मुद्दे पर सवाल किया तो उन्होंने तल्ख अंदाज में कहा, शेर कभी कुत्तों का शिकार नहीं करते। हालांकि, रावत ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका बयान अधिकारियों पर तंज माना जा रहा है।कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ही सरकार की पोल खोल रहे हैं, जिससे साफ हो गया है कि उत्तराखंड में खनन माफिया हावी है।कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा नेता ही सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं, इससे साफ है कि सरकार के दावे खोखले है। त्रिवेंद्र सिंह रावत का लगातार अपनी ही सरकार पर हमलावर होना पार्टी के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। भाजपा नेताओं का मानना है कि इस तरह की बयानबाजी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। राज्य में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की तैयारी में है।त्रिवेंद्र सिंह रावत की बयानबाजी और कांग्रेस के हमले से भाजपा की स्थिति असहज होती दिख रही है। (लेखक ज्वलंत मुद्दों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार है) ईएमएस / 04 अगस्त 25