लेख
04-Aug-2025
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भाजपा सांसद उपराष्ट्रपति के चुनाव में कर सकते हैं बगावत? केंद्रीय चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान 9 सितंबर को होगा। नामांकन और नाम वापसी 25 अगस्त तक हो जाएगी। 25 अगस्त से लेकर 9 सितंबर तक का समय प्रधानमंत्री मोदी के लिए भारी पड़ने जा रहा है। लोकसभा और राज्यसभा के संसद सदस्य उपराष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं जिस तरह से सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच में तनाव बना हुआ है। जिस तरह से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा हुआ है। धनखड़ का इस्तीफा होने के बाद ना तो उनका फेयरवेल हुआ है, नाही यह पता लग रहा है, कि वह कहां पर किस हाल में हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टलता चला आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर तल्खी बनी हुई है। संसद के मानसून सत्र में कोई काम नहीं हो पा रहा है। केवल ऑपरेशन सिंदूर पर दोनों सदनों में 16-16 घंटे की चर्चा हुई है। विपक्ष बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन परीक्षण को लेकर संसद के दोनों सदनों में चर्चा कराना चाहता है। सरकार चर्चा करने से बच रही है। जिसके कारण सदन की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। चुनाव आयोग और भाजपा को लेकर भी विपक्ष हमलावर है। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर विपक्ष ने जिस तरह की चुप्पी साध रखी है। यह चुप्पी सरकार के लिए हैरान कर रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, मोदी सरकार के लिए मुसीबत बने हुए हैं। वह हर दिन कोई ना कोई बयान भारत के बारे में देते हैं। जिसमें या तो टैरिफ होता है या भारत और पाकिस्तान के बीच सीज फायर कराने की बात होती है। जिसके कारण सरकार को बचाव की मुद्रा में रहना पड़ता है। इसका फायदा विपक्ष के साथ-साथ भाजपा के अंदर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अलग लाबी है। वह भी समय-समय पर जो बयानबाजी कर रही है। उससे भी सरकार की मुश्किलें बढ़ रही हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक का दबाव पहले से ही बना हुआ है। उपराष्ट्रपति के चुनाव के पहले संघ परिवार चाहता है, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में भाजपा के सांसद विद्रोह कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विहिप जारी नहीं हो सकता है। जिसके कारण बगावत की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। दिल्ली में जिस तरह की चर्चाएं हो रही हैं। उसके अनुसार संघ को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर गुजराती लावी का कोई आदमी स्वीकार नहीं है। संघ अपने भरोसेबंद व्यक्ति को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर लाने के लिए अडिग है। जिसके कारण मोदी-शाह हैरान और परेशान हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस तरह की राजनीतिक हलचले हो रही हैं। उसमें ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं लग पा रहा है। हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बिहार में मतदाता सूची के गहन परीक्षण को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। हाल ही में उन्होंने एक बार फिर कोलकाता में जो बयान दिया है। उससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। वह मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में पूर्ण बहुमत की सरकार के मुखिया रहे हैं। पहली बार वह गठबंधन की सरकार के मुखिया हैं। जिस तरह से एनडीए के सहयोगी दल भी उन्हें आंखें दिखा रहे हैं। यह स्थिति उनके लिए बिल्कुल नई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय पर हुआ है। जब सरकार के सामने सबसे ज्यादा चुनौतियां थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी चुनौतियां मिल रही हैं। इस स्थिति में संकट मोचक के रूप में राष्ट्रपति ही उनकी कोई मदद कर सकती हैं। एक ही दिन में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का राष्ट्रपति से मिलने से दिल्ली का राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो गया है। वहीं चुनाव आयोग को लेकर देश में जिस तरह से माहौल बन रहा है। उसने भी मोदी और शाह की चिताओं को बढ़ा दिया है। केंद्र की सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा। इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगने लगे हैं। राम और रावण युद्ध के समय रावण की कैद में सभी नौ ग्रह थे। लेकिन जब रावण का समय बदला, ऐसी स्थिति में उन नौ ग्रहों ने भी पाला बदल दिया। जो अंततः अहंकारी रावण के वध का कारण बना। उपराष्ट्रपति पद का चुनाव मोदी-शाह के गले में हड्डी की तरह फंस गया है। भगवान जाने आने वाले समय में सरकार और देश की राजनीति में क्या बदलाव होगा। ईएमएस / 04 अगस्त 25