हिंदी विज्ञान में एक नई क्रांति मुंबई के वैज्ञानिकों ने 1968 में भारतीय वैज्ञानिक द्वारा हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद की नींव मुंबई में रखी और 2साल बाद वैज्ञानिक पत्रिका का सतत प्रकाशन हुआ जो आज भी ऑनलाइन माध्यम से चल रही है अतः राष्ट्रीय अस्तर पर हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद ही एक मात्र ऐसी संस्था बची इसमें परिषद के पूर्व कार्यकारी सचिव श्री राजेश कुमार का सबसे अधिक और अहम् योगदान रहा जो इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक और हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद के पूर्व कार्यकारी सचिव श्री राजेश कुमार , दिनांक 31.06. 2025 मे केंद्र से सेवानिवृत्त हो गए वह परिषद द्वारा प्रकाशित होने वाली राष्ट्रीय पत्रिका के संपादक मंडल मे भी हैं और लगातार अपनी सेवा निस्वार्थ भाव से देते आ रहें है इसके पहले वे वह हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद में लगभग 15 सालों या उससे अधिक समय से सक्रिय रूप से जुड़े रहे इसके लिए उन्होंने परिषद द्वारा कई राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी में ख़ासकर परिवहन व मंच व्यवस्था मे महत्वपूर्ण योगदान दिया व हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद द्वारा आयोजित प्रश्न मंच कार्यक्रम मे भी परिवहन के साथ संयोजन मे सफलतापूर्वक काम किया हिंदी विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु परिषद द्वारा उन्हे हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद स्वर्ण जयंती समारोह, स्वास्थ्य संगोष्ठी, वैज्ञानिक पत्रिका के व्यवस्थापण मे मुख्य भूमिका प्रदान किया गया. उन्होंने विज्ञान अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी, दोनों ही क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है.एक प्रभावी विज्ञान संचारक के नाते जन सामान्य संबंधित विषयों की वैज्ञानिक जानकारी/ज्ञान के संचार तथा लोकप्रियकरण की दिशा में स्वयंसेवी भाव से लगातार कार्य करते रहे हैं और वैज्ञानिक पत्रिका मे संपादक मंडल मे बने रहेंगे सेवानिवृत्ती के अवसर पर आपको हिंदी विज्ञान में उल्लेखनीय योगदान हेतु अनेक बधाइयां तथा भविष्य के सुखद एवं निरोगी सुदीर्घ पारिवारिक जीवन के लिए शुभकामनाएं !.हिंदी विज्ञान में उनके अहम् योगदान हेतु पूरा देश गौरव महसूस करेगा हिंदी के लिए किया गया उनका कार्य सभी प्रतिभाशाली छात्रों को प्रेरणा देगी। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 4 अगस्त /2025 ,