इंदौर (ईएमएस)। चिकित्सा जगत में एंडोस्कोपिक तकनीकों के बढ़ते महत्व को देखते हुए मेदांता हॉस्पिटल, इंदौर में रविवार को एक विशेष एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में प्रशिक्षण ले रहे डीएम/डीएनबी विद्यार्थियों और युवा डॉक्टरों को इस आधुनिक तकनीक की गहन समझ और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना था। कार्यशाला के कोर्स डायरेक्टर डॉ. हरि प्रसाद यादव ने बताया कि ईयूएस जैसी तकनीक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के निदान और उपचार के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। उन्होंने कहा, हमारा प्रयास है कि युवा डॉक्टर इस तकनीक को सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि लाइव केस और वास्तविक क्लिनिकल परिस्थितियों के माध्यम से समझें। एक अन्य कोर्स डायरेक्टर डॉ. अरुण सिंह भदौरिया ने इस वर्कशॉप को डॉक्टरों के लिए एक बेहतरीन अवसर बताया, जिससे उनकी क्लीनिकल स्किल्स और आत्मविश्वास दोनों मजबूत होंगे। ईयूएस एक हाइब्रिड तकनीक है, जिसमें एंडोस्कोपी और अल्ट्रासाउंड का संयोजन होता है। इसकी मदद से डॉक्टर पाचन तंत्र के अंदर और उसके आसपास के अंगों को बेहद स्पष्टता से देख सकते हैं। यह तकनीक ट्यूमर, पित्ताशय की पथरी, अग्नाशय की बीमारियों और अन्य जटिल स्थितियों के निदान में बेहद उपयोगी है। पारंपरिक एंडोस्कोपी की तुलना में यह अधिक गहराई और स्पष्टता प्रदान करती है, जिससे न केवल सही निदान संभव होता है, बल्कि ऑपरेशन से पहले रोग की स्थिति का सटीक आकलन करने में भी मदद मिलती है। प्रकाश/4 अगस्त 2025