राष्ट्रीय
06-Aug-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत सरकार का “डीप ओशन मिशन” समुद्र की गहराइयों में छिपे खजाने की खोज में बड़ी सफलता हासिल कर रहा है। इस मिशन के तहत अब तक सबसे बड़ी खोज पॉलीमेटालिक नॉड्यूल्स (पीएमएन) और पॉलीमेटालिक सल्फाइड्स (पीएमएस) की हुई है। पीएमएन समुद्र की सतह से हजारों मीटर नीचे पाए जाते हैं और इनमें तांबा, कोबाल्ट, निकेल और मैंगनीज जैसे बहुमूल्य धातु होते हैं। पीएमएस में तांबा, जस्ता, सीसा, लोहा और चांदी जैसी धातुएं होती हैं। भारत ने इन खनिजों की खोज के लिए इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी से 75,000 वर्ग किमी और 10,000 वर्ग किमी क्षेत्र का लाइसेंस प्राप्त किया है। यह मिशन समुद्र विज्ञान मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा है। इसका उद्देश्य समुद्र के भीतर बहुमूल्य खनिजों और जीवों की खोज करना है। वर्ष 2024 में भारत ने अंडमान सागर से 1173 मीटर गहराई से 100 किलो से अधिक कोबाल्ट युक्त नॉड्यूल निकाले गए। साथ ही, समुद्र के अंदर दो सक्रिय हाइड्रोथर्मल क्षेत्रों की पहचान की गई। मिशन के तहत वैज्ञानिकों ने समुद्र तटों पर जलवायु परिवर्तन के असर को मापने के लिए नक्शे (वल्नरेबिलिटी मैप्स) भी तैयार किए हैं। इसके अलावा, मनुष्य द्वारा संचालित पनडुब्बी विकसित करने की दिशा में भी तकनीकी प्रगति हुई है। मिशन का एक और लक्ष्य समुद्र के भीतर जैव विविधता को समझना और संरक्षित करना है। छह समुद्री अभियानों में लगभग 1300 समुद्री जीवों को एकत्र किया गया, जिनमें से 23 प्रजातियां विज्ञान के लिए पूरी तरह नई हैं। यह महत्वपूर्ण जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जबाब में दीं । यह मिशन भारत को न सिर्फ खनिजों में आत्मनिर्भर बना सकता है, बल्कि समुद्री विज्ञान में विश्वस्तर पर अग्रणी भी बना रहा है। सुबोध\०६\०८\२०२५