राज्य
07-Aug-2025
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- विधानसभा में पेश कुपोषण और फंड के आंकड़ों ने चौकाया - मप्र में कुपोषण की दर 7 प्रतिशत तक पहुंची भोपाल (ईएमएस)। मप्र में कुपोषण सबसे बड़ी चिंता बना हुआ है। सरकार के प्रयासों के बावजुद मप्र में कुपोषण की दर 7 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उधर, विधानसभा में पेश आंकड़ें और चौंका रहे हैं। मप्र में लाड़ली बहना योजना में हितग्राही को हर दिन मिलने वाली राशि 40 रुपए है। लेकिन प्रदेश के गंभीर कुपोषित बच्चे को अतिरिक्त आहार देने सरकार का एक बच्चे पर बजट कुल 4 रुपए है। शिवपुरी में इस समय जिले के 9 एनआरसी केन्द्रों में कुल 40 बच्चे भर्ती हैं, जो कुपोषण से जूझ रहे हैं। पूरे प्रदेश में कुपोषण का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से भी 2 प्रतिशत ज्यादा है। आदिवासी जिले श्योपुर, खरगोन, झाबुआ, बड़वानी में बच्चों की कुपोषण की दर बाकी जिलों से बढ़ी हुई है। मप्र के 55 जिलों में 45 जिले ऐसे हैं, जहां कम वजन के रेड जोन में आने वाले बच्चे दर्ज हैं। प्रदेश की 97 हजार आंगनवाडिय़ों का आंकड़ा करीब 38 फीसदी बच्चे कुपोषित। आदिवासी आबादी वाले जिलो में स्थिति बेहद चिंताजनक। प्रदेश में कुल कुपोषित बच्चों का आंकड़ा एक लाख 36 हजार के पार। भारत में कुपोषण की दर 5 प्रतिशत के आसपास। मध्यप्रेदश में कुपोषण की दर 7 प्रतिशत तक पहुंची। मप्र के 57 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जिनका कद और वजन कुपोषण छीन चुका है। विधानसभा में सत्ताधारी दल के ही विधायक ने कुपोषण के मुद्दे पर सरकार को घेरा। सदन में आए सरकार के जवाब में जानकारी निकल कर सामने आई कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त आहार देने के लिए सरकार का बजट कुल 4 रुपए है। कुपोषण का ये दाग मिटेगा कैसे सवाल है कि कुपोषण खत्म करने के लिए सरकार की ओर से क्या प्रयास किये जा रहे हैं। मप्र विधानसभा में सरकार ने जानकारी दी है कि प्रदेश में बच्चों के पोषण पर होने वाले खर्च का दायरा 8 रुपए से 12 रुपए के बीच है। सरकार ने विधानसभा में जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक अति गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए अतिरिक्त आहार पर हर दिन करीब 4 रुपए की राशि दी जाती है। वहीं, अगर लाड़ली बहना योजना में दी जाने वाली राशि का प्रतिदिन का हिसाब देखें तो ये करीब 41 रुपए बैठता है। भाजपा विधायक ने सदन में उठाया सवाल इस मुद्दे पर भाजपा के ही विधायक मोहन सिंह राठौर ने सदन में प्रश्न किया था कि प्रदेश में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए कौन-कौन सी योजनाएं संचालित हैं। इसी तरह वर्ष 2023-24 और 2024-25 में बच्चों को कुपोषण से दूर करने के लिए कितने बजट का प्रावधान किया गया। इसके जवाब में महिला बाल विकास विभाग की मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि प्रदेश में सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण योजना अंतर्गत बच्चों में कुपोषण निवारण के लिए मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसी प्रश्न के जवाब में मंत्री ये जानकारी दी कि पूरक पोषण आहार अंतर्गत ही अति गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए अतिरिक्त आहार के लिए राशि 4 रुपए की राशि हर दिन प्रति हितग्राही के हिसाब से दिए जाने का प्रावधान है। इसके पहले विधानसभा में ही सरकार का जवाब आया था कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों को 12 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से पोषण आहार भारत सरकार की ओर से दिया जाता है। शिवपुरी आईना है कुपोषण का दंश जानने के लिए 25 दिन पहले शिवपुरी जिले में एक ही दिन के भीतर 15 कुपोषित बच्चे जिला अस्पताल पहुंचे। बीमारी उल्टी-दस्त की थी। लेकिन जांच में कुपोषित मिले। 25 दिन बाद शिवपुरी जिले के 9 एनआरसी केन्द्रों में 40 बच्चे भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है। जिला अस्पताल में एनआरसी प्रभारी डॉ। राम शर्मा के मुताबिक शिवपुरी जिले के जो 9 एनआरसी केन्द्र हैं, इनमें 40 बच्चे भर्ती हैं। लेकिन अब ये सब खतरे की स्थिति से बाहर हैं। वहीं, अगर पूरे जिले की बात करें तो यहां कुपोषित बच्चों का आंकड़ा 685 के पार पहुंच रहा है। आदिवासी बाहुल्य जिलों में कुपोषण चिंताजनक शिवपुरी के अलावा श्योपुर, बड़वानी, धार, झाबुआ, खरगोन, बालाघाट, छिंदवाड़ा के जो आदिवासी इलाके हैं वहां भी बच्चों में कुपोषण के आंकड़े डराने वाले हैं। 5 में से एक बच्चा कुपोषण के लक्षण लिए हुए हैं। पूरे प्रदेश में बौने और कम वजन के बच्चों का प्रतिशत निकाला जाए तो ऐसे बच्चों की तादाद 57 फीसदी के करीब है। 1.36 फीसदी बच्चे प्रदेश से कुपोषण के साथ जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। विनोद / 07 अगस्त 25