-क्लाउडबर्स्ट के आफ्टरशॉक से फ्लैशफ्लड्स, लैंडस्लाइड जैसे आती हैं आपदाएं नई दिल्ली (ईएमएस)। उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने से मची तबाही में अब तक पांच लोगों की मौत हुई और करीब 70 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। पीडितों के बचाव में लगी रेस्क्यू टीमों के कुछ जवान भी लापता हो गए हैं। वहां खराब मौसम के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं। पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटना आम है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब एक छोटे से इलाके में अचानक और लगातार बहुत तेज बारिश होती है यानी एक घंटे में 10 सेंटीमीटर से ज्यादा। क्लाउडबर्स्ट के आफ्टरशॉक के तौर पर उस जगह के आसपास फ्लैशफ्लड्स, लैंडस्लाइड हो जाते हैं। वैसे तो बादल ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में ही फटते हैं, लेकिन कभी-कभी मैदानी इलाके भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। बता दें बादल तीन टाइप के होते हैं- सिरस, स्ट्रेटस और क्यूम्यूलस. क्लाउडबर्स्ट में जो बादल फटते हैं, वो हैं ‘क्यूम्यूलोनिम्बस’ बादल होते हैं। ये दिखने में किसी ऊंचे टावर या पहाड़ जैसे होते हैं और ऊपर से फ्लैट, घने और काले होते हैं। अगर ये नअर आएं तो समझ जाइए कि मूसलाधार बारिश या तूफान आ सकता है। पानी जब भाप बनकर ऊपर उठता है और आसमान में एक ऐसे लेवल पर पहुंचता है, जहां का ऐट्मॉस्फेरिक प्रेशर कम हो, तो उस भाप का टेम्प्रेचर कम होने लगता है और वो बादल बन जाते हैं। अगर यही बादल ज्यादा ऊंचे उठे और इससे भी कम ऐट्मॉस्फेरिक प्रेशर तक पहुंच जाएं, तो अपने अंदर और ज्यादा नमी इकट्ठा करके ये भारी और बड़े हो जाते हैं। यह क्यूम्यूलोनिम्बस बादल कहलाते हैं। इनके अंदर मौजूद पानी की छोटी-छोटी बूंदें आपस में टकराकर बड़ी बूंदों का शेप ले लेती हैं। जब ये बादल अपने अंदर और नमी इकट्ठी नहीं कर सकता तो ये फट जाता है और उस जगह अचानक बहुत जोरदार बारिश होती है, जिससे वहां फ्लैशफ्लड भी आती है। फ्लैशफ्लड यानी एक छोटे-से इलाके में अचानक बाढ़ आ जाना। ये पानी पहाड के स्लोप से जब तेज स्पीड़ में नीचे आता है तो अपने साथ बाढ़ की स्थिति लेकर आता है। क्युम्युलोनिम्बस बादल बनने के लिए उस जगह का ऐट्मॉस्फेरिक प्रेशर कम होना एक जरूरी कंडिशन है इसलिए ये अक्सर हिलस्टेशंस के आसपास ही बनते हैं। दिल्ली में एक बार ऐसा हो चुका है। 15 सितंबर 2011 को दिल्ली के पालम एरिया में बादल फटा था। इस घटना में कोई जनहानी तो नहीं हुई पर 1959 के बाद पहली बार शहर में इतनी ज्यादा बारिश हुई थी लेकिन ये पहली और शायद आखरी बार ही था, जब दिल्ली के लोगों ने इसका अनुभव किया हो। दिल्ली के आसपास कोई पहाड़ नहीं है। जब ज्यादा नमी वाली हवा पहाड़ों से टकराकर तेजी से ऊपर उठती है, तो वो एक बड़ा बादल बनाती है और क्लाउडबर्स्ट के दौरान यहीं बादल फटते हैं। बादल फटने जैसी तेज और छोटे-से इलाके में हुई बारिश दिल्ली में बहुत कम ही होती है, लेकिन वहां मानसून के दौरान भी अक्सर हवा में बहुत ज्यादा नमी बनी रहती है। ऐसे में क्युम्युलोनिम्बस जैसे बड़े बादल बन सकते हैं और अगर इनमें ज्यादा नमी जमा हो जाए और एकदम से गिरे, तो दिल्ली में भी बादल फट सकते हैं। हालांकि ऐसा होना बहुत दूर की सोच है। सिराज/ईएमएस 10 अगस्त 2025