ज़रा हटके
09-Aug-2025
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-आयुर्वेद से बेहतर इलाज की लगातार आ रही हैं खबरें नई दिल्ली,(ईएमएस)। आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से निराश हो चुके एक बुजुर्ग मरीज ने जब आयुर्वेद का सहारा लिया, तो मात्र 15 दिनों में किडनी की बीमारी से चमत्कारी रूप से राहत पाई। इस प्रकार के मामले अब आयुर्वेदिक उपचार की प्रभावशीलता का बड़े उदाहरण बन गए हैं। बताया जाता है कि एक मरीज जो लंबे समय से क्रिएटिनिन लेवल बढ़ने, कमजोरी, हाथ-पैरों में सूजन, और पेशाब की समस्या से परेशान थे। कई नामचीन अस्पतालों और डॉक्टर्स से इलाज करवाने के बावजूद उन्हें आराम नहीं मिला और हालत लगातार बिगड़ती गई। एक मित्र की सलाह पर उन्होंने आयुर्वेद का रुख किया और छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक अनुभवी वैद्याचार्य से संपर्क किया। वैद्य ने उनका प्राकृतिक परीक्षण कर बताया कि उनकी किडनी की कार्यप्रणाली गम्भीर रूप से बाधित हो चुकी है। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुरूप, उन्हें विशेष हर्बल औषधियाँ, योग अभ्यास, और कठोर खानपान परहेज़ का पालन करने को कहा गया। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, वैद्य ने मरीज की किडनी को साफ करने और उसे सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करने के लिए कुछ विशेष आयुर्वेदिक औषधियाँ दीं। इसके साथ ही, उन्हें कुछ विशिष्ट योगाभ्यास सुझाए। कड़े परहेज का पालन करने को कहा गया। औषधियों का नियमित सेवन, सुबह का योग अभ्यास और बताए गए परहेज का ईमानदारी से पालन करने का नतीजा यह हुआ कि मरीज को मात्र 15 दिनों के भीतर ही अपनी सेहत में अप्रत्याशित सुधार महसूस होने लगा. उनकी कमजोरी दूर हुई, हाथ-पैरों की सूजन कम हो गई और पेशाब संबंधी दिक्कतें भी लगभग समाप्त हो गईं। कोरबा, उज्जैन और देश के अन्य हिस्सों से भी इस प्रकार की खबरें सामने आ चुकी हैं, जहाँ आयुर्वेद ने असाध्य मानी जाने वाली बीमारियों में भी राहत दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सटीक निदान, प्रामाणिक औषधियाँ और अनुभवी वैद्य का मार्गदर्शन मिले, तो आयुर्वेद कई रोगों को जड़ से समाप्त करने में सक्षम है। हाल ही में उज्जैन का एक मामला सामने आया है, जिसमें सूरजनगर निवासी 72 वर्षीय बुजुर्ग महिला जिन्हें किडनी संबधी रोग था का इलाज शासकीय धन्वंतरी आयुर्वेद चिकित्सालय में अधीक्षक डॉ ओपी व्यास ने सफलतापूर्वक किया है। इस उदाहरण से यह स्पष्ट है कि आयुर्वेद केवल विकल्प नहीं, समाधान भी है, विशेषकर तब जब एलोपैथिक उपचार सीमित हो जाए। रोगियों को चाहिये कि वे आयुर्वेदिक चिकित्सा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनाएं और संदेह से नहीं, विश्वास से इसका अनुसरण करें। हिदायत/ईएमएस 09 अगस्त 2025