वॉशिंगटन (ईएमएस)। अमेरिका का डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन एच-1बी वीजा जारी करने के प्रक्रिया में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है। अभी तक लॉटरी सिस्टम से दिया जाने वाला वीजा अब वेतन-आधारित चयन प्रणाली से जारी किया जाएगा। वाइट हाउस के सूचना एवं नियामक मामलों का कार्यालय इस संबंध में एक प्रस्ताव लाया है। 8 अगस्त को विशेष व्यवसायों में कार्यरत श्रमिकों के लिए एच-1बी वीजा के आवंटन में व्यापक बदलाव करने वाले नियम को मंजूरी दी है। ट्रंप प्रशासन की अमेरिकी चीजें खरीदें और अमेरिकियों को नौकरी दें नीति के तहत ये कदम उठाया गया है। ट्रंप प्रशासन के कदम से अमेरिका में भविष्य के करियर की संभावनाओं की तलाश कर रहे हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए मुश्किल बढ़ेगी। एच-1बी वीजा अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले विशिष्ट व्यवसायों में विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। इससे तीन साल की अवधि के लिए अमेरिका में काम कर सकते है। फिलहाल इसका सालाना स्लॉट 85,000 तक सीमित है। अभी तक हर साल लॉटरी प्रक्रिया के तहत नए स्नातकों और अनुभवी पेशेवरों को चुना जाता है। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने एच-1बी वीजा के लॉटरी सिस्टम को बदलने का प्रयास किया था। इस साल फिर राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने फिर इस ओर कदम बढ़ाए हैं। नया नियम के बारे में सबसे बड़ी जानकारी यही है कि यह सभी को बराबर रखने वाले लॉटरी सिस्टम की बजाय वेतन पर आधारित है। अमेरिका के एच-1बी वीजा कार्यक्रम में भारतीयों का दबदबा रहा है। भारतीयों को करीब 72 प्रतिशत तक एच-1बी वीजा मिलते रहे हैं। इसके बाद 12 प्रतिशत चीनी नागरिक हैं। 2023 के आंकड़ों के अनुसार, ज्यादातरएच-1बी वीजा धारक डेटा साइंस, एआई, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा जैसे एसटीईएम क्षेत्रों में काम करते हैं। इनमें से 65 प्रतिशत कंप्यूटर से संबंधित नौकरियों में हैं। /ईएमएस 16 अगस्त 2025