ट्रंप हारे, पुतिन जीते! -ट्रम्प बोले-भारत पर 25 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ से रूस ने एक बड़ा ग्राहक खोया नई दिल्ली(ईएमएस)। यूक्रेन में युद्ध पर विराम लगवाने के मकसद से दुनिया के सबसे बड़े डीलमेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलास्का में मुलाकात की। इस मीटिंग को दो बड़े नेताओं की भिड़ंत के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन ट्रंप-पुतिन अलास्का समिट एक तरह का पोल्ट्री-गेस्ट ही साबित हुआ। दोनों नेता बस इतराते और मुस्कुराते रहे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पूरी दुनिया रातभर इंतजार करती रही, लेकिन सुबह तक यह कंफर्म हो गया कि युद्धविराम के मोर्चे पर यह मुलाकात में बेनतीजा साबित हुई। दुनिया अभी भी अंदाजा लगा रही है कि इस बैठक से कोई असली हल निकलेगा या फिर यह सिर्फ ट्रंप का पब्लिसिटी स्टंट ही साबित होकर रह जाएगा। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वो फिलहाल रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार नहीं कर रहें हैं। ट्रम्प ने कहा कि भारत के रूसी तेल व्यापार पर 25 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगने से रूस ने एक बड़ा तेल ग्राहक खो दिया है। चीन पर इसी तरह के टैरिफ रूस के लिए विनाशकारी होंगे। अगर मुझे ऐसा करना पड़ा, तो मैं करूंगा, लेकिन शायद मुझे ऐसा करने की जरूरत नहीं होगी ट्रंप की जल्दी जीतने की इच्छा और पुतिन का धैर्य - दोनों के बीच यही अंतर पुतिन को मजबूत बनाता है। ट्रंप की शांति-दूत वाली छवि रूस के लिए फायदे का सौदा बन रही है। अगर सिर्फ युद्धविराम पर समझौता हो जाता है और रूस पीछे नहीं हटता, तो यह उसकी जीत होगी। अगर कोई समझौता न भी हो, तो भी पुतिन के लिए फायदेमंद है, क्योंकि हालात जस के तस रहकर भी पश्चिमी एकता को तोड़ सकती है। मसलन, ट्रंप-पुतिन की अलास्का समिट से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका-रूस के रिश्ते सामान्य करने से यूरोप को कीमत चुकानी पड़ेगी और पुतिन को यह मौका मिल गया कि वह खुद को दुनिया के एक बड़े खिलाड़ी के रूप में खुदको साबित कर सकें। असली मुद्दे अनसुलझे रहे दोनों नेताओं की मुलाकात में असली मुद्दे अनसुलझे रहे, लेकिन माहौल जरूर असाधारण था। ट्रंप ने पुतिन का स्वागत रेड कार्पेट बिछाकर किया और तालियां बजाईं। यह वही पुतिन थे जिन पर अमेरिका ने सैंक्शन्स लगाए हैं और जो इंटरनेशनल वॉर क्राइम्स वॉरंट का सामना कर रहे हैं। दोनों नेता हंसे, बातें कीं, और ट्रंप तो पुतिन को अपने बुलेटप्रूफ बीस्ट में बैठकर मीटिंग प्लेस तक आने ले गए। समिट एक ऐसे मोड़ पर खत्म हुई जिससे कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ, लेकिन ट्रंप ने कहा कि कुछ मुद्दों पर एग्रीमेंट हुआ है, कुछ पर नहीं। पुतिन ने बस इतना कहा कि दोनों नेताओं में एक समझ बनी है और ट्रंप को नेक्स्ट टाइम इन मॉस्को का न्यौता भी दिया। न तो दोनों नेताओं ने विस्तार से कुछ बताया, न ही मीडिया से कोई सवाल लिए। हालांकि, ट्रंप ने वादा किया कि वह नाटो नेताओं और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात करेंगे। ट्रम्प-पुतिन के बीच कोई डील नहीं हुई पुतिन और ट्रम्प के बीच यूक्रेन जंग खत्म करने पर करीब 3 घंटे मीटिंग हुई। इसके बाद दोनों नेताओं ने सिर्फ 12 मिनट की जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रम्प ने कहा कि हमारी बैठक बहुत सकारात्मक रही। हमने कई बिंदुओं पर सहमति जताई, लेकिन कोई डील नहीं हुई। कोई समझौता तभी होगा जब वह अंतिम रूप लेगा। ट्रम्प ने इस बैठक को 10 में से 10 अंक दिए। वहीं, पुतिन ने कहा कि उनके लिए रूस की सुरक्षा सबसे जरूरी है। उन्होंने अगली मीटिंग मॉस्को में करने का सुझाव दिया। अपनी बात कहने के बाद दोनों नेता मंच से तुरंत चले गए। भारत ने बातचीत का स्वागत किया भारत ने शनिवार को ट्रम्प और पुतिन के बीच अलास्का में बैठक का स्वागत किया। इसे सराहनीय कदम बताया। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने के लिए कूटनीति के महत्व पर भी जोर दिया। बयान में आगे कहा गया, भारत समिट में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता बातचीत और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का जल्द अंत देखना चाहती है। ट्रंप की बेचैनी और शांति-दूत को झटका डोनाल्ड ट्रंप, अपने चुनावी अभियान में कहा करते थे कि वह अगर जीते तो 24 घंटे के अंदर युद्ध खत्म करवा देंगे। दुनिया के सबसे बड़े डीलमेकर कहलाने वाले ट्रंप इस मुलाकात में किसी शांति की तलाश में थे। उन्होंने बाद में फॉक्स न्यूज से कहा भी कि वह इस मीटिंग को 10 में 10 नंबर देंगे, लेकिन उन्होंने यह बात संबंधों को लेकर कही, जिसको लेकर खुद पुतिन भी कहकर गए कि इससे संबंधों में सुधार हुआ है। ट्रंप ने माना कि रूस-यूक्रेन कॉन्फ्लिक्ट सुलझाना उम्मीद से कहीं ज्यादा मुश्किल है, लेकिन कहा कि अगर यूक्रेन तैयार हो जाए तो डील जल्द हो सकती है। डोनाल्ड ट्रंप ने तो पुतिन के साथ मुलाकात की, हंसे-मुस्कराए लेकिन उनसे विपक्षी डेमोक्रेट नाराज नजर आया। डेमोक्रेटिक सीनेटर क्रिस मर्फी ने कहा कि यह फोटो-ऑप असल में वॉर क्राइम्स को वैध ठहराता है और दुनिया के तानाशाहों को मैसेज देता है कि वे निर्दोषों की हत्या कर सकते हैं और फिर भी अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ फोटो खिंचवा सकते हैं। यूक्रेन और यूरोप की चिंता यूक्रेन और यूरोपीय देशों को डर है कि कहीं यह मुलाकात ऐसे सौदे का रास्ता न खोल दे जिसमें रूस का कब्जाए गए इलाकों (डोनेट्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरीझिया और खेरसॉन) पर अधिकार मान लिया जाए। यूक्रेन की गैरमौजूदगी पूरी प्रक्रिया को रूस के पक्ष में झुका देती है, जैसे कि यह युद्ध रूस और अमेरिका के बीच का मामला हो - न कि किसी संप्रभु राष्ट्र पर हमला। जमीन पर रूस धीरे-धीरे बढ़त बना रहा है, भले ही उसे भारी नुकसान हुआ है। वहीं यूक्रेन को सैनिकों की कमी, पश्चिमी मदद में देरी और लगातार हवाई हमलों से जूझना पड़ रहा है। रूस की अर्थव्यवस्था अब सैंक्शन्स के बावजूद टिक गई है, क्योंकि उसे चीन, ईरान और उत्तर कोरिया से सपोर्ट मिल रहा है। इसलिए पुतिन लंबे समय तक युद्ध खींचने को तैयार हैं। विनोद उपाध्याय / 16 अगस्त, 2025