अंतर्राष्ट्रीय
17-Aug-2025
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इस्लामाबाद (ईएमएस)। पाकिस्तान का खनिज खज़ाना बेहद समृद्ध है। कोयला, तांबा, सोना, लौह अयस्क, क्रोमाइट, कीमती पत्थर और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नमक की खदानें यहां मौजूद हैं। इसके अलावा यह देश दुनिया के पांचवें सबसे बड़े कॉपर और गोल्ड भंडार का भी मालिक है। यही वजह है कि अमेरिका, चीन, सऊदी अरब, ब्रिटेन, तुर्किये और यूएई जैसे बड़े देश इस बोली प्रक्रिया में शामिल होने को तैयार हैं। अगर यह योजना सफल रहती है तो यह पाकिस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी रेवेन्यू मोबिलाइजेशन साबित हो सकती है। न सिर्फ़ विदेशी मुद्रा भंडार मज़बूत होंगे, बल्कि पाकिस्तान को वैश्विक रेयर अर्थ रेस में भी महत्वपूर्ण स्थान मिल सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि इतनी बड़ी पूंजी का प्रवाह तभी पाकिस्तान की किस्मत पलट पाएगा जब वह आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता, सुरक्षा चुनौतियों और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाए। वरना यह खजाना भी देश की किस्मत नहीं बदल पाएगा। चीन, सऊदी अरब और अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, तुर्किये और यूएई भी इस दौड़ में शामिल हैं। दिलचस्प सवाल यह है कि क्या ऊर्जा और खनिज खोज में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही भारत की ओएनजीसी जैसी सरकारी कंपनी पांच खरब डॉलर की इस खनिज संपदा में बोली लगा पाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का भू-राजनीतिक माहौल भारत की कंपनियों के लिए बड़ा अवरोधक बन सकता है। हालांकि, अगर अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम के जरिए ओएनजीसी साझेदारी की राह अपनाए, तो इस दौड़ में उसकी मौजूदगी संभव हो सकती है। पाकिस्तान का यह कदम उसके आर्थिक संकट से बाहर निकलने की कोशिश है, लेकिन इसके साथ ही यह वैश्विक रेयर अर्थ रेस में उसकी स्थिति को भी मजबूत कर सकता है। पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट, कर्ज़ के बोझ और महंगाई से जूझ रहा है। हालांकि अब वह अपनी धरती के नीचे दबे खजाने को दुनिया के सामने लाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के पास मौजूद रेयर अर्थ और खनिज भंडार की कीमत करीब 3 से 5 ट्रिलियन डॉलर तक हो सकती है। यह रकम किसी भी संकटग्रस्त देश की किस्मत पलटने के लिए काफी मानी जाती है। सूत्रों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश आकर्षित करने के लिए पाकिस्तान ने सभी खनिज और रेयर अर्थ साइट्स को प्रांतीय नियंत्रण से हटाकर एक केंद्रीय प्राधिकरण के तहत लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए संविधान में संशोधन की तैयारी भी हो रही है, ताकि बोली और सुरक्षा मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान हो सके। पहले चरण में चीन को गिलगित-बाल्टिस्तान में खनन अधिकार मिलने की संभावना है, जबकि अमेरिका को उत्तरी बलूचिस्तान और दक्षिणी खैबर पख्तूनख्वा की खदानों तक पहुंच मिल सकती है। वहीं, रेको डिक कॉपर-गोल्ड माइंस के लिए सऊदी अरब से समझौता लगभग अंतिम दौर में है। वीरेंद्र/ईएमएस 17 अगस्त 2025