-रामानंद सागर की विरासत को सजाया-संवारा, फिल्मों और टीवी जगत में छोड़ी गहरी छाप मुंबई,(ईएमएस)। टीवी और फिल्म इंडस्ट्री से दुखद खबर सामने आई है। मशहूर फिल्ममेकर और निर्देशक प्रेम सागर का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे दिग्गज फिल्मकार रामानंद सागर के बेटे थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेम सागर ने 31 अगस्त की सुबह 10 बजे अंतिम सांस ली। प्रेम सागर के निधन की खबर से टीवी और फिल्म जगत शोक में डूब गया। ‘रामायण’ में लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले सुनील लहरी और ‘राम’ बने अरुण गोविल ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सुनील लहरी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए कहा, कि यह दुखद समाचार साझा करते हुए अत्यंत दुख हो रहा है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें। वहीं, अरुण गोविल ने कहा कि प्रेम सागर ने अपने पिता रामानंद सागर की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रामायण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया। टीवी और फिल्मों में खास पहचान प्रेम सागर ने 1968 में एफटीआईआई से ग्रैजुएशन किया। वे पेशे से फिल्म निर्माता, निर्देशक और सिनेमैटोग्राफर थे। उन्होंने 1985 में मशहूर टीवी शो ‘विक्रम और बेताल’ का निर्देशन और निर्माण किया, जिसे हर उम्र के दर्शकों ने पसंद किया। इसके अलावा उन्होंने ‘अलिफ लैला’, ‘काकभुषुंडी’, ‘कामधेनु गौमाता’ और फिल्मों ‘हम तेरे आशिक’, ‘बसेरा’, ‘ललकार’, ‘चरस’ जैसे प्रोजेक्ट्स में भी काम किया। सिनेमैटोग्राफर के रूप में उन्होंने ‘आंखें’ (1968) और ‘चरस’ (1976) जैसी फिल्मों में काम किया। इसके अलावा उन्होंने अपने पिता की प्रोडक्शन कंपनी सागर आर्ट्स के तहत कई टीवी सीरियल्स और फिल्में बनाईं। रामानंद सागर की विरासत को आगे बढ़ाया प्रेम सागर अपने पिता द्वारा बनाए गए प्रसिद्ध धारावाहिक ‘रामायण’ (1987) से भी गहराई से जुड़े रहे। रामानंद सागर की इस कृति ने भारतीय टेलीविजन पर अमिट छाप छोड़ी और प्रेम सागर ने इसे आगे की पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य किया। प्रेम सागर रामानंद सागर फाउंडेशन से भी जुड़े थे, जो शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्य करता है। बताया जा रहा है कि अब इस विरासत को उनका बेटा शिव सागर आगे बढ़ाएगा। प्रेम सागर के निधन से मनोरंजन जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। हिदायत/ईएमएस 01सितंबर25