नई दिल्ली(ईएमएस)। पाकिस्तान सीमा के पास के इस सूखे और बंजर इलाके के लिए सबसे पहले अडानी समूह ने अपनी बड़ी योजनाओं का ऐलान किया था। उनका खावड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क 538 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो पेरिस शहर से करीब पांच गुना बड़ा है। इसे दुनिया की सबसे बड़ी हरित ऊर्जा परियोजना बताया जा रहा है, जिसका लक्ष्य सौर और पवन ऊर्जा के जरिए 30 गीगावाट बिजली पैदा करना है। अडानी समूह ने खावड़ा में साल 2022 में काम शुरू किया था और फरवरी 2024 तक राष्ट्रीय ग्रिड में पहली बिजली की आपूर्ति भी शुरू कर दी। अब गुजरात के कच्छ रण में पाकिस्तान की सीमा के पास एक विशाल बंजर भूमि भारत की स्वच्छ ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं का केंद्र बन गई है। इस जमीन पर 2 प्राइवेट और एक बड़ी सरकारी प्रोजेक्ट लगाया जाएगा। अडानी समूह और रिलायंस समूह ने यहां अपना काम शुरू भी कर दिया है, जबकि सरकारी कंपनी एनटीपीसी ने भी इस क्षेत्र में अपना प्रोजेक्ट लगाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पिछले साल अगस्त में रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना बैठक में कच्छ में स्वच्छ ऊर्जा परियोजना की घोषणा की गई थी। यह प्रोजेक्ट दुनिया का सबसे बड़ा एकल-स्थल सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से एक होगा, जो 5.5 लाख एकड़ बंजर भूमि में फैला हुआ है। यह सिंगापुर के आकार से तीन गुना बड़ा है। परियोजना के पूरी तरह शुरू हो जाने के बाद प्रतिदिन 55 मेगावाट के सोलर मॉड्यूल और 150 मेगावाट-घंटे के बैटरी कंटेनर स्थापित करेंगे। यह दुनिया की सबसे तेज सौर ऊर्जा स्थापनाओं में से एक होगी, जो आने वाले दशक में भारत की लगभग 10 प्रतिशत बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकता है। रिलायंस के इस प्रोजेक्ट को 5.5 लाख एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है, जो 2,225 वर्ग किलोमीटर के बराबर होती है, जबकि सिंगापुर का क्षेत्रफल 735.7 वर्ग किलोमीटर है। इसका मतलब है यह सिंगापुर से भी तीन गुना ज्यादा क्षेत्रफल में होगा। रिलायंस ने अभी तक यह नहीं बताया है कि इस परियोजना से कुल कितनी बिजली पैदा होगी या यह कब तक पूरी होगी। कच्छ में अरबों डॉलर का निवेश आकर्षित होने का मुख्य कारण यह है कि यह भारत के उन क्षेत्रों में से एक है जहां सबसे अधिक सौर विकिरण (सोलर रेडिएशन) मिलता है। यहां प्रतिदिन औसतन 5.5 से 6.0 किलोवाट-घंटे प्रति वर्ग मीटर सौर ऊर्जा प्राप्त होती है, जिसका मतलब है कि लगभग 2,060 से 2,100 किलोवाट-घंटे प्रतिवर्ष बिजली यहां एक वर्गमीटर क्षेत्रफल में बनाई जा सकती है। अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अनुसार, वहां 5.6 गीगावाट की क्षमता पहले से ही चालू हो चुकी है और साल 2029 तक यह 30 गीगावाट तक पहुंच जाएगी। दोनों समूहों की योजनाएं सिर्फ बिजली बनाने तक सीमित नहीं हैं। वे सौर मॉड्यूल, बैटरी और हरित हाइड्रोजन जैसे उपकरण भी खुद बनाना चाहते हैं। इस मामले में भी अडानी समूह आगे है, जिसने सौर मॉड्यूल और पवन टर्बाइन बनाने का काम शुरू कर दिया है। सरकारी कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने भी खावड़ा में 4.75 गीगावाट की सौर क्षमता लगाने की योजना बनाई है। वीरेंद्र/ईएमएस/01सितंबर2025