राष्ट्रीय
01-Sep-2025


किशनगंज,(ईएमएस)। नेपाल से शादी कर भारत आईं कई महिलाएं यहां समाज का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन, विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत इनकी नागरिकता पर सवाल उठ रहे हैं। निर्वाचन आयोग ने बिहार में करीब 3 लाख मतदाताओं को नोटिस भेजा है जिसमें किशनगंज की नेपाली मूल की बहुएं भी शामिल हैं। इन महिलाओं को अपने मतदाता पहचान पत्र के लिए दस्तावेज साबित करने को कहा गया है। किशनगंज में नेपाल से शादी कर आई महिलाओं को मतदाता सूची से हटाने की कार्रवाई ने हड़कंप मचा दिया है। निर्वाचन आयोग की सख्ती ने ऐसे नागरिकों की चिंता और परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल, बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) ने मतदाता सूची में विसंगतियों को पकड़ा है। किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिलों में नेपाल से शादी कर आई महिलाएं रहती हैं, लेकिन अब यह मुद्दा गंभीर हो गया है। इन महिलाओं के पास सभी वैध दस्तावेज होने के बावजूद पुराने रिकॉर्ड, जैसे- माता-पिता के 2003 के मतदाता सूची प्रमाण की कमी के कारण उन्हें सूची से हटाने की कार्रवाई हो रही है। निर्वाचन आयोग ने सात दिनों के भीतर दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया है। नेपाल के पाठामारी की रहने वाली मुनिया की शादी 2011 में भातगांव के वार्ड नंबर 08 के बेचना मांझी से हुई थी। उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक खाता और निवास प्रमाण पत्र जैसे सभी भारतीय दस्तावेज हैं। लेकिन निर्वाचन आयोग उनकी मां के दस्तावेज मांग रहा है। ठाकुरगंज प्रखंड के भातगांव पंचायत की मुनिया देवी को बीएलओ अमरनाथ नायक ने नोटिस थमाया है। मुनिया बताती हैं कि उनकी मां पिछले 8 साल से भारत में रह रही हैं और उनके पास आधार कार्ड भी है, लेकिन 2003 की मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है। किशनगंज के सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी और भारत-नेपाल के वैवाहिक रिश्ते प्रचलित हैं। इनके बीच इस कार्रवाई से बेचैनी बढ़ गई है। पूर्व मुखिया अब्दुल मन्नान का कहना है कि गरीबी और बाढ़ के कारण कई लोगों के पास पुराने दस्तावेज नहीं हैं। एआईएमआईएम जैसे दल इसे अल्पसंख्यक समुदायों पर निशाना मानते हैं, जबकि बीजेपी अवैध घुसपैठ का आरोप लगाती है। बता दें कि दस्तावेज जमा करने की अंतिम तारीख 1 सितंबर 2025 थी और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी। वीरेंद्र/ईएमएस/01सितंबर2025