:: सनाढ्य ब्राह्मण समाज की भागवत कथा में कर्म और मोक्ष पर प्रवचन :: इंदौर (ईएमएस)। सनाढ्य ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित सात दिवसीय भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के दूसरे दिन, भागवताचार्य पं. लोकेशानंद शास्त्री ने चंद्रभागा स्थित राधा-कृष्ण मंदिर में भक्तों को संबोधित किया। अपने प्रेरक प्रवचनों में उन्होंने जीवन में मर्यादा और कर्मों के महत्व पर प्रकाश डाला। पं. शास्त्री ने कहा कि सुख और दुख हमारे कर्मों का फल हैं। जिस प्रकार नदियां तभी पूजनीय होती हैं, जब वे अपने किनारों की मर्यादा में बहती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य के जीवन का भी यही सिद्धांत है। किनारों को छोड़ने पर नदियाँ बाढ़ बन जाती हैं और मनुष्य का जीवन भी विनाश की ओर मुड़ जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि भगवान के अवतार सज्जनों की रक्षा और दुर्जनों का विनाश करने के लिए होते हैं। कथा के शुभारंभ से पहले, समाज के वरिष्ठजनों अवध किशोर शर्मा, ब्रजमोहन शर्मा, हरिश दुबे और अन्य ने व्यासपीठ का पूजन किया। समाज के अध्यक्ष पं. देवेंद्र शर्मा और महासचिव संजय जारोलिया ने सभी भक्तों का स्वागत किया। कथा में मातृशक्ति और युवा पीढ़ी के सदस्यों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और व्यवस्थाएं संभालीं। पं. शास्त्री ने भागवत कथा की महिमा बताते हुए इसे जन्म-जन्मांतर के पुण्यों से मिलने वाला एक दिव्य ग्रंथ बताया। उन्होंने कहा कि भागवत को कल्पवृक्ष, महासागर या सद्गुणों का भंडार कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन इसका सार यही है कि यह मोक्ष की ओर ले जाने का मार्ग है। महासचिव संजय जारोलिया ने बताया कि राधा अष्टमी के उपलक्ष्य में यह कथा 6 सितंबर तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक चलेगी और इस दौरान कई उत्सव भी मनाए जाएंगे। प्रकाश/01 सितम्बर 2025