-टैरिफ से उपजे तनाव के बीच रिश्तों की नई तस्वीर आई सामने अलास्का,(ईएमएस)। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ के फैसले से उपजे तनाव के बीच भारत और अमेरिका की सेनाएं अलास्का में संयुक्त युद्धाभ्यास कर रही हैं। यह संदेश है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास बरकरार है और सहयोग लगातार बना हुआ है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बताया कि मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन 1 से 14 सितंबर तक अलास्का के फोर्ट वेनराइट में आयोजित भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास 2025’ में हिस्सा ले रही हैं। इसमें भारतीय सैनिक अमेरिकी सेना की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन (आर्कटिक वॉल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम) की पहली बटालियन, 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट ‘बॉबकैट्स’ के साथ मिलकर विभिन्न परिस्थितियों में लड़ाई के गुर सीखेंगे। क्या होगा अभ्यास में? इस अभ्यास के दौरान हेलीकॉप्टर आधारित अभियान और पर्वतीय युद्ध, निगरानी संसाधनों और मानवरहित हवाई सिस्टम (यूएएस) का उपयोग, रॉक क्राफ्ट, युद्ध चिकित्सा सहायता और हताहतों को निकालने के तरीके, तोपखाना, विमानन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का संयुक्त इस्तेमाल, कम्युनिकेशन वारफेयर और लॉजिस्टिक सपोर्ट और लाइव-फायर अभ्यास और हाई-एल्टीट्यूड वारफेयर के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास का समापन होगा। रणनीतिक महत्व यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जबकि हाल ही में अमेरिकी पनडुब्बी सहायता जहाज यूएसएस फ्रैंक केबल चेन्नई पहुंचा था। वहां भारतीय पनडुब्बी आईएनएस सिंधुविजय के साथ मिलकर मरम्मत और रखरखाव की क्षमता का प्रदर्शन किया गया था। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों नौसेनाओं के गहराते सहयोग का संकेत था। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के अभ्यास दिखाते हैं कि व्यापारिक तनाव और राजनीतिक बयानबाजी के बावजूद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग मजबूत बना हुआ है। अलास्का का कठिन इलाका और कठोर मौसम इस अभ्यास को खास महत्व देता है, क्योंकि यहां सैनिकों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मिलता है, जो भविष्य की संभावित चुनौतियों से निपटने में मददगार होगा। यानी, ट्रंप प्रशासन के कड़े आर्थिक फैसलों के बावजूद भारत और अमेरिका का रक्षा सहयोग न सिर्फ जारी है बल्कि और गहरा हो रहा है। हिदायत/ईएमएस 02सितंबर25