बाघिन की रहस्मय मौत का मामला -पति को बचाने डीएफओ पत्नी ने खोला मोर्चा, पीसीसीएफ को लिखा पत्र -पत्र वायरल होने के बाद विभाग ने गठित की दो सदस्यीय जांच कमेटी बालाघाट/भोपाल (ईएमएस)। लालबर्रा वन परिक्षेत्र में हुई बाघिन की मौत के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। डीएफओ अधर गुप्ता को बचाने के लिए उनकी पत्नी वनमंडलाधिकारी उत्तर सामान्य वनमंडल (डीएफओ) नेहा श्रीवास्तव ने मोर्चा खोल दिया है। डीएफओ अधर गुप्ता पर एफआइआर दर्ज करने और निलंबन की मांग करने वाली कांग्रेसी विधायक अनुभा मुंजारे पर डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने 2-3 पेटी मांगने का गंभीर आरोप लगाया है। इतना ही नहीं डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने पीसीसीएफ को इस मामले में एक पत्र भी लिखा है। इधर, विधायक अनुभा मुंजारे ने डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के खिलाफ उच्च न्यायालय में मानहानि का प्रकरण दर्ज करने की बात कही है। विधायक का कहना है कि डीएफओ सिविल सेवा सर्विस के दायरे में आती है, उन्हें अपनी सीमा में रहना चाहिए। उनके खिलाफ अनर्गल बयान व शिकायत की जा रही है, जो कि पूरी तरह से गलत है और वह इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। इस प्रकरण को लेकर वह आमरण अनशन भी करेगी। जानकारी के अनुसार डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने 16 अगस्त को पीसीसीएफ को लिखे गए पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे ने 16 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश होने के बाद भी उन्हें फारेस्ट रेस्ट हाउस में मिलने बुलाया। जब शाम करीब 4 बजे वह एफआरएच पहुंची, जहां एमएलए ने अपने निजी कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और एक अन्य महिला की उपस्थिति में उनसे 2-3 पेटी की अवैध पैसों की मांग की। जब इस डिमांड को अस्वीकार्य किया गया तो एमएलए ने शत्रुतापूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त की। इतना ही नहीं एमएलए ने न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार के लिए भी असंयमित और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया। एमएलए ने सभी मंडलाधिकारियों को भी जिले में तैनात नहीं रहने देने की बात कही है। प्रशासन से अपनी मांगों को मनवाने व दबाव बनाने के लिए भोपाल मुख्यालय पर भूख हड़ताल करने व धरने पर बैठने की धमकी भी दी है। डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने पत्र में उल्लेख किया है कि उनका प्रभाग विधायक अनुभा मुंजारे के निर्वाचन क्षेत्र में नहीं आता है। बावजूद इसके वन विश्रााम गृह में बैठक आयोजित होने और उनके कहने पर वे उसमें शामिल हुई। उन्हें विश्वास था कि बैठक में अधिकारिक मामलों में चर्चा होगी। ऐसे निमंत्रण को सीधे तौर पर अस्वीकार्य करना एक जनप्रतिनिधि के साथ असहयोग व अहंकार का प्रतीक है। -निज सहायक पर भी अभद्र व्यवहार का आरोप डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने एमएलए के निजी सहायक पर भी अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया है। डीएफओ श्रीवास्तव ने बताया कि जब उनके निज सहायक को शिष्टाचार बनाए रखने का अनुरोध किया गया तो उन्होंने कहा कि वह न केवल उनके निज सहायक हैं, बल्कि उनके भतीजे भी है। डीएफओ ने स्पष्ट किया कि उनकी अधिकारिक बातचीत केवल निर्वाचित जनप्रतिनिधि के साथ थी, न कि उनके संवैधानिक हैसियत और उनके दल के सदस्यों के साथ। -सरकारी कामकाज में बाधा डालने का प्रयास डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने कहा कि यह घटना धमकी देना, दबाव और सरकारी कामकाज में बाधा डालने का प्रयास है। उन्होंने पीसीसीएफ से व्यक्तिगत सुरक्षा और विभागीय जिम्मेदारियों में आनी वाली बाधा को रोकने के लिए उचित हस्तक्षेप की मांग भी की है। -दो सदस्यीय जांच दल गठित डीएफओ नेहा श्रीवास्तव द्वारा लिखे गए पत्र के बाद मध्यप्रदेश शासन वन विभाग ने 3 सितंबर को दो सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। इस दल में अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक कमलिका मोहंतो और वनसंरक्षक अंजना सुचिता तिर्की को शामिल किया गया है। समिति को दो सप्ताह के भीतर मामले की जांच कर प्रतिवेदन राज्य शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है। -पति को बचाने डीएफओ नेहा श्रीवास्तव कर रही ओछी, निम्न स्तरीय हरकत- अनुभा मुंजारे विधायक अनुभा मुंजारे ने डीएफओ नेहा श्रीवास्तव द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि का प्रकरण दर्ज कराएगी। नेहा श्रीवास्तव डीएफओ है और वह दक्षिण सामान्य वन मंडल बालाघाट में पदस्थ उनके पति डीएफओ अधर गुप्ता को बचाने के लिए यह प्रयास कर रही है। ढाई लाख से अधिक मतदाताओं के बीच चुनी हुई जनप्रतिनिधि को इस तरह से बदनाम करने का कार्य डीएफओ द्वारा किया जा रहा है। वह किसी भी कीमत में इस अपमान को सहन नहीं करेगी। विधायक अनुभा मुंजारे ने बताया कि डीएफओ नेहा श्रीवास्तव जिस वन विश्राम गृह में बैठक होने के दौरान रूपये के लेन देन की बात कह रही वह सरासर मनगढ़ंत व झूठी है। उस बैठक में वन विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में वन व वन्य प्राणियों की सुरक्षा व कार्यवाही को लेकर दिशा-निर्देश दिये गए थे। अधिकारियों के साथ बैठक में कोई रूपये की मांग कैसे कर सकते है? एक आईएफएस अधिकारी का इस तरह से गैर जिम्मेवारना कृत्य बहुत ही हास्यास्पद है। -डीएफओ अधर गुप्ता कार्यवाही की जद पर विधायक अनुभा मुंजारे ने कहा कि मूल प्रकरण नेहा श्रीवास्तव के डीएफओ पति अधर गुप्ता पर लटक रही कार्यवाही है। लालबर्रा के सोनेवानी में पिछले महीने बाघ का शिकार हुआ और उसकी पूरी प्रक्रिया सम्पन्न कराये बगैर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। साक्ष्य छुपाने का कृत्य किया गया। इस मामले के सामने आने के दौरान विधानसभा सत्र के चलते भोपाल प्रवास में थी। इस प्रकरण को लेकर उन्होंने विधानसभा में सवाल उठाया और वन विभाग के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को इस प्रकरण की शिकायत कर जांच करने व दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि वन विभाग ने इस मामले में सुरक्षा श्रमिकों को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया है। डिप्टी रेजर व वन रक्षक को आरोपी बनाया, लेकिन गिरफ्तार नहीं किया गया है। जबकि बाघ की मौत मामले में डीएफओ के खिलाफ पहले कार्यवाही होनी चाहिए थी। विधायक मुंजारे ने कहा कि ये दोनों पति-पत्नी जंगल, वन्य प्राणियों को नुकसान पहुंचा रहे है। बाघ के नाम से जिले की पहचान है और उसी बाघ को ये मौत के घाट उतारकर साक्ष्य नष्ट कर रहे है। -बाघ की संदिग्ध मौत की फैक्ट फाइल 27 जुलाई को सोनेवानी के कक्ष क्रमांक 443 में बाघ का शव दिखाई दिया। 29 जुलाई को वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर सुरक्षा श्रमिकों ने शव को जलाकर नष्ट किया। 2 अगस्त को सोशल मीडिया पर मामला वायरल होने के बाद विभाग ने 8 आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया। इस मामले में 6 आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। डिप्टी रेंजर और वनरक्षक फरार चल रहे हैं। जांच के लिए विभाग ने 6 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। एसटीएसएफ की एंट्री के बाद एसआईटी को भंग कर दिया गया। 5 अगस्त को विधायक अनुभा मुंजारे ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण का नोटिस दिया। डीएफओ अधर गुप्ता पर कार्यवाही की मांग की। 12 अगस्त को विधायक मुंजारे ने एसीएस और वन बल प्रमुख से मुलाकात कर डीएफओ को हटाने की मांग की। 16 अगस्त को डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने पीसीसीएफ को पत्र लिखा।