राज्य
07-Sep-2025
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:: तिरुपति से आए भागवताचार्य जितेन्द्र महाराज द्वारा हंसदास मठ पर भागवत ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ :: इंदौर (ईएमएस)। भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जब हम अपने पितरों के साथ उनके जीवन काल में जाने-अनजाने में किए गए दोषों से क्षमा मांगकर मुक्त हो सकते हैं। श्राद्ध पक्ष में भागवत कथा का श्रवण करना सामान्य दिनों के मुकाबले कई गुना अधिक पुण्य फल देने वाला होता है। जन्म-जन्मांतर के पुण्योदय होते हैं, तब पितृ पक्ष में मिलता है भागवत श्रवण का सौभाग्य। जीवन में सत्य की स्थापना अवश्य होना चाहिए। राम राज्य में सत्य और प्रेम जैसे दो स्तंभ ही प्रमुख थे, जिन पर राम राज्य की नींव टिकी हुई थी। हंसदास मठ जैसे पवित्र तीर्थ स्थल पर तर्पण और भागवत का यह दिव्य आयोजन हम सबके पितरों को मोक्ष के मार्ग पर प्रवृत्त करने का दिव्य अनुष्ठान है। ये प्रेरक विचार हैं तिरुपति बालाजी से आए आचार्य जितेन्द्र महाराज के जो उन्होंने एयरपोर्ट रोड स्थित हंसदास मठ पर भागवत ज्ञान यज्ञ सेवा समिति के तत्वावधान में आज से प्रारंभ हुए सात दिवसीय पितृ मोक्षदायी भागवत के शुभारंभ प्रसंग पर व्यक्त किए। हंसदास मठ के अधिष्ठाता श्रीमहंत स्वामी रामचरणदास महाराज एवं महामंडलेश्वर महंत पवनदास दास महाराज एवं महंत यजत्रदास के सानिध्य में कथा शुभारंभ के पूर्व आयोजन समिति की ओर से म.प्र. ज्योतिष एवं विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक, हरि अग्रवाल, संदीप गोयल आटो, राजेश बंसल, जगमोहन वर्मा, विनय जैन, मुरलीधर धामानी, जिझोतिया ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष प्रहलाद किशोर मिश्रा आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। मठ परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा भी निकाली गई। चंद्रग्रहण को देखते हुए गणेश पूजन एवं मंडल पूजन की विधि सुबह संपन्न की गई। संयोजक शिव जिंदल ने बताया कि आचार्य जितेन्द्र महाराज के श्रीमुख से पितृ पक्ष में भागवत कथा का यह प्रासंगिक अनुष्ठान 13 सितम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 3 से 6 बजे तक हंसदास मठ पर होगा। आचार्य जितेन्द्र महाराज ने अपनी दक्षिण भारतीय कथा शैली में भागवत एवं पितृ पक्ष की महत्ता बताते हुए कहा कि पूरे देश में स्वच्छता में आठवीं बार अव्वल आए इंदौर आकर ऐसा लगता है कि देवी अहिल्या की यह नगरी तो धर्म, सेवा, संस्कृति और अध्यात्म में अव्वल ही है। ऐसे धर्मस्थल पर पितृ पक्ष में भागवत कथा का श्रवण करना महाभाग का ही अवसर है। यहां जो लोग कथा श्रवण के लिए आए हैं, उन्हें स्वयं पितरों ने ही निमित्त बनाकर भेजा है। राम राज्य में भी सत्य और प्रेम जैसे स्तंभों पर ही राजकाज की बुनियाद टिकी रही। आज भी समाज में सत्य और प्रेम का भाव होना चाहिए। पितृ पक्ष भगवान द्वारा दिया गया ऐसा उपहार है, जिससे हम अपने पितरों के प्रति किए गए सभी तरह के दोषों से मुक्त हो सकते हैं। केवल भारतीय संस्कृति में ही ऐसा विधान है, दुनिया में किसी और देश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। प्रकाश/7 सितम्बर 2025 संलग्न चित्र – इंदौर। हंसदास मठ पर तिरुपति बालाजी से आए भागवताचार्य जितेन्द्र महाराज की कथा शुभारंभ के पूर्व निकाली गई शोभायात्रा।