:: दलाल बाग स्थित नवरत्न वाटिका पर 300 से अधिक तपस्वियों के बहुमान समारोह में विश्वरत्न सागर म.सा. के आशीर्वचन :: इंदौर (ईएमएस)। शरीर नश्वर होता है, लेकिन आत्मा अजर और अमर। हमारे नाम और देह में बदलाव हो सकता है, लेकिन आत्मा हमेशा अपरिवर्तनीय होती है। तपस्या और साधना जीवन को निखारती है। जितना अधिक तप करेंगे, स्वयं को तपाएंगे, उतना अधिक जीवन कुंदन की तरह दमकेगा। तप मोक्ष मार्ग की सीढ़ी होती है। मोक्ष की मंजिल पाने के लिए तप के मार्ग से ही आगे बढ़ा जा सकता है। ये प्रेरक विचार हैं युवा हृदय सम्राट जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. के, जो उन्होंने रविवार को अर्बुद गिरिराज जैन श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट पीपली बाजार, जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ एवं नवरत्न परिवार इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में वीआईपी रोड स्थित नवरत्न वाटिका, दलालबाग के विशाल परिसर में आयोजित अट्ठाई के तपस्वियों के बहुमान समारोह में उपस्थित तपस्वियों, परिजनों और समाजबंधुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। दिल्ली से आए प्रख्यात संत प.पू. लोकेश मुनि भी इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे। धर्मसभा को गणिवर्य कीर्ति सागर म.सा. मुनि प्रवर उत्तम सागर म.सा. आदि ने संबोधित किया। इस अवसर पर पर्युण महापर्व के दौरान अट्ठाई अर्थात आठ दिनों की तपस्या करने वाले 300 से अधिक तपस्वियों का प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. एवं प.पू. लोकेश मुनि की निश्रा में आयोजन समिति की ओर से संयोजक पुण्यपाल सुराना, कैलाश नाहर, मनीष सुराना, यशवंत जैन, दिलीप मंडोवरा, दिलसुखराज कटारिया आदि ने बहुमान किया। समारोह के लाभार्थी संदीप कुमार अमन कुमार राजमल जैन परिवार राजौद वाले ने तपस्वियों की अगवानी की। कार्यक्रम में शहर के सभी प्रमुख जैन श्रीसंघों के पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। प्रकाश/7 सितम्बर 2025 संलग्न चित्र – इंदौर। दलाल बाग स्थित नवरत्न वाटिका में अट्ठाई की तपस्या करने वाले तपस्वियों के सम्मान समारोह में आशीर्वचन देते विश्वरत्न सागर म.सा।