राज्य
09-Sep-2025
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गरियाबंद(ईएमएस)। जिला सहकारी बैंक की देवभोग शाखा के अधीन आने वाली दीवानमुड़ा सहकारी समिति में बड़ा घोटाला सामने आया है। समिति के कंप्यूटर ऑपरेटर ऋतिक निधि को सहायक पंजीयक सहकारिता के निर्देश पर प्राधिकृत अधिकारी क्षीरसागर बीसी ने बर्खास्त कर दिया है। आरोप है कि समिति के किसान सदस्य खेमा पांडे के नाम से गोहरापदर शाखा से 7.91 लाख रुपये का फर्जी आहरण किया गया था। सहायक पंजीयक द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि ऑपरेटर ऋतिक निधि ने बोगस आहरण की बात स्वीकार की थी। हालांकि, इस गड़बड़ी में केवल वही जिम्मेदार नहीं था। जांच में यह भी सामने आया कि दीवानमुड़ा समिति में धान खरीदी के दौरान 2880 बोरा धान (करीब 32 लाख रुपये का) भी गायब पाया गया। किसान खेमा पांडे ने जनवरी माह में 255.20 क्विंटल धान बेचा था, जिसकी राशि 7.91 लाख रुपये उनके खाते में जमा हुई। लेकिन फरवरी में यह रकम गोहरापदर शाखा से अवैध तरीके से निकाल ली गई। अप्रैल में शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला मीडिया में आने के बाद ही विभाग हरकत में आया। इसके बाद सहायक लेखापाल दीपराज मसीह ने 5.91 लाख और तत्कालीन मैनेजर न्यानसिंह ठाकुर ने 2 लाख रुपये खाते में जमा कराकर भरपाई की। गौर करने वाली बात यह है कि किसान के खाते से रकम निकलवाने में शामिल तत्कालीन बैंक मैनेजर और सहायक लेखापाल पर अब तक कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि इन दोनों के खिलाफ पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं। सूत्रों के अनुसार, अगर उच्च स्तरीय जांच हो तो खेमा पांडे जैसे कई किसानों के नाम पर बोगस खरीदी-बिक्री और 1 करोड़ रुपये से अधिक के फर्जी भुगतान का खुलासा हो सकता है। दीवानमुड़ा समिति के कर्मचारियों का वेतन पिछले 11 महीने से रुका हुआ है। खरीदी और रखरखाव के लिए आए लाखों रुपये के खर्च पर भी रोक लगा दी गई है। अंतिम भौतिक सत्यापन रिपोर्ट में धान के बोरे समेत 2880 बोरा धान कम पाया गया। सवाल यह है कि जब धान ही गायब था तो उसके एवज में रकम और कमी की भरपाई कैसे दिखाई गई? इस बिंदु को भी जांच में नजरअंदाज कर दिया गया। सत्यप्रकाश(ईएमएस)09 सितंबर 2025