वैसे तो केरल अनेक चीजों में अन्य राज्यों से आगे है परंतु अभी प्राप्त एक आंकड़े के अनुसार यह बताया गया है कि केरल में 1000 बच्चों की मृत्यु का आंकड़ा 1000 में से 5 है। मतलब यदि केरल में 1000 बच्चे पैदा होते हैं तो उनमें से सिर्फ 5 बच्चों की मृत्यु जन्म के समय होती है। यह आंकड़ा अमरीका से भी आगे है। केरल में जैसा कि बताया गया है कि 1000 शिशुओं में से 5 शिशुओं की मृत्यु होती है जबकि यह आंकड़ा हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर 25 है। मतलब यह कि जब 1000 बच्चे पैदा होते हैं तो उनमें से 25 बच्चे पैदा होते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। यह आंकड़ा रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर द्वारा किए गए सर्वे पर आधारित है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के अनुसार उन्होंने फिर इस बात को दोहराया है कि यह आंकड़ा अमरीका में बच्चों की मृत्यु दर से भी आगे है। अमरीका में शिशु मृत्यु दर लगभग 5.6 है। देश के अनेक राज्यों में शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग होता है, परंतु केरल में ऐसी स्थिति नहीं है। केरल में यदि शहरों में 1000 में से 5 शिशु मृत्यु को प्राप्त होते हैं तो गांवों में भी 1000 में से 5 शिशु मृत्यु को प्राप्त होते हैं। दोनों का मृत्यु दर का आंकड़ा बराबर है। परंतु यदि देश में देखा जाए तो 1000 में से 28 बच्चे पैदा होते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं, जिनमें शहरों में शिशुओं की मृत्यु का आंकड़ा 19 है। केरल में शहरी और ग्रामीण बच्चों की मृत्यु के आंकड़े में कोई अंतर नहीं है। इसका कारण यह है कि जो स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं आम लोगों को शहर में प्राप्त होती हैं वही सेवाएं गांवों में भी प्राप्त होती हैं। यदि आज केरल में 1000 में से सिर्फ 5 शिशु मरते हैं तो उसका श्रेय केरल में जो स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं हैं उसको जाता है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 में केरल में यह आंकड़ा 7.42 था। 2012 में यह आंकड़ा 8.2 था और 2023 के आते-आते शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कोई अंतर नहीं रहा। यह इसलिए कि गांवों में भी स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उतनी ही उपलब्ध हैं जितनी शहरों में उपलब्ध हैं, उनमें कोई अंतर नहीं है। केरल की स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का अनुभव मुझे भी है। मैं केरल में एक सम्मेलन के संबंध में गया था। रात के 12 बजे मेरे कान में एकाएक दर्द हुआ। मैंने, हमारे जो सम्मेलन के आयोजक थे उनसे कहा कि मुझे कान में बहुत दर्द हो रहा है यदि मेडिकल सहायता मिल जाए तो अच्छा होगा। तो उन्होंने कहा कि चलिए। मैंने कहा कि अभी तो अस्पताल में ओपीडी (जहां बाहर के लोगों को सुविधाएँ दी जाती हैं) बंद होगी। हमारे मध्यप्रदेश में अस्पतालों में एक समय सीमा में ओपीडी सेवा प्राप्त होती है। यदि 9 बजे से ओपीडी खुलता है तो 1 बजे बंद हो जाता है। फिर उसके बाद सिर्फ एक इमरजेंसी सेवा प्राप्त होती है। आयोजक ने बताया कि केरल में ऐसा नहीं है। केरल में 24 घंटे एक-सी सुविधा प्राप्त होती है। यदि दिन के 1 बजे रोगी को जो सुविधा प्राप्त होती है वही सुविधा रात के 1 बजे भी प्राप्त होती है। मतलब अस्पताल में सेवाएं 24 घंटे प्राप्त होती हैं। ओपीडी और नॉन-ओपीडी का कोई विभाजन वहां नहीं है। मेडिकल सुविधा शहरों और गांवों में 24 घंटे प्राप्त रहती हैं। जितनी शहर में सेवाएं उपलब्ध हैं उतनी ही गांवों में भी उपलब्ध हैं। यदि कोई पीड़ित व्यक्ति रात के 1 बजे भी अस्पताल पहुंचेगा तो उसे वही सुविधा मिलेगी जो हमारे मध्यप्रदेश में ओपीडी में प्राप्त होती है। यही कारण है कि केरल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति हुई है। केरल में शिशु मृत्यु दर 1000 में से 5 है यह प्रगति अमरीका से भी ज्यादा है और केरल में यह प्रयास है कि यह आंकड़ा और भी कम हो। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 11 सितम्बर /2025