हिन्दी देश की एकता की कड़ी है। हिन्दी सहज, सरल एवं सम्पूर्ण भाषा है, पर्याप्त शब्द कोष है।इसमें हमारी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने का सामथ्र्य है, भरपूर-साहित्य है, जिसके संवाद अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। हिन्दी ने अपनी मौलिकता एवं सुबोधता के बल पर ही राष्ट्र की सभ्यता, संस्ड्डति और साहित्य को जीवन्त बनाए रखा है सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बंधा महसूस कराते रहती है एवं अनेकता में एकता के दर्शन कराती है।हिन्दी के द्वारा ही सारे देश को एक सूत्र में पिरोया जा सकता हंै। हिन्दी एक व्यापक भाषा है, जो सम्पूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें सम्पूर्ण भारत एक साथ बोलता है। इसके एक-एक शब्द के उच्चारण में हमारी आत्मा, हमारी संस्कृति समाई हुई है। भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के महान् उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए मनीषियों ने हिन्दी को प्रतिनिधि भाषा घोषित करनें में भारत का और अपना गौरव समझा है। यह निर्विवाद सत्य भी है कि जिस दिन ‘हिन्दी’ व्यावहारिक रूप में प्रतिनिधि भाषा का रूप धारण कर लेगी और ‘अंग्रेजी’ का मोह भंग हो जायेगा, उस दिन हमारा देश भाषा के दृष्टिकोण से एक हो जायेगा, विज्ञान के क्षेत्र में अंग्रेजी का कार्य अनायास ही समाप्त हो जायेगा। हिन्दी देश की एकता की कड़ी है। हिन्दी सहज, सरल एवं सम्पूर्ण भाषा है, पर्याप्त शब्द कोष है।इसमें हमारी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने का सामथ्र्य है, भरपूर-साहित्य है, जिसके संवाद अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। हिन्दी ने अपनी मौलिकता एवं सुबोधता के बल पर ही राष्ट्र की सभ्यता, संस्ड्डति और साहित्य को जीवन्त बनाए रखा है सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बंधा महसूस कराते रहती है एवं अनेकता में एकता के दर्शन कराती है।हिन्दी के द्वारा ही सारे देश को एक सूत्र में पिरोया जा सकता हंै। भारत एक ग्रामीण देश है और इसकी अधिकतर जनसंख्या ग्रामीण इलाकों से तालुक रखती है। भारत में सभी अंग्रेजी नहीं जानते इसलिए भारत में आपको किसी से भी बात करनी हो या फिर संवाद करना हो तो आपको पहले हिंदी का ज्ञान होना ही चाहिए। यह एक ऐसी भाषा है जिसकी मदद से हम अपनी भावनाओं को बहुत ही सरल तरीके से व्यक्त कर सकते हैं।देश के सबसे बड़े भू-भाग में बोली जाने वाली राष्ट्रभाषा ‘हिन्दी’ के कारण ही भारत विश्व में अपनी महानता बनाये हुए है। इसमें भारतीय संस्ड्डति एवं सभ्यता की वह सुगन्ध समायी हुई है, जिसके आकर्षण में सम्पूर्ण विश्व सुख-शान्ति का अनुभव करता है।पश्चिमी देशों में ऐसे अनेक साहित्यकार हुए है, जिन्होंने वहाँ निष्ठापूर्वक अध्ययन, मनन, चिन्तन किया है। अब हिन्दी केवल बोल चाल या साहित्य की भाषा नही रह गई। टिप्पण प्रारूपण, प्रतिवेदन, आदेश, परिपत्र, ज्ञापन, कार्यालय ज्ञापन,निविदा, पृष्ठांकन, पदनाम, विभागों के नाम सचाचार-पत्रों, आकाशवाणी और दृश्यमाध्यम से आम-आदमी की जुबान पर आ गए हैं। ये शब्द अंग्रेजी नोटिंग, ड्रांिटग, रिपोर्ट, आॅर्डर,, तथा रिमाइंडर-शब्द के पर्याय हैं। आज ये शब्द हिन्दी के और अपने से लगते हैं। ‘ भारत की प्राचीन विशाल सांस्ड्डतिक परम्परा की ज्योति ने ही उन्हें सार्वभौमिक मूल्यों की और जाग्रत किया है। अंग्रेजी ज्ञान के अपनी भाषाओं के जरिये की है। आज जापान, कोरिया और चीन जैसे उदाहरण हमारे सामने हैं, जिन्होंने अपनी प्रगति अपनी भाषाओं के जरिये की है। आज जापान, कोरिया और चीन जैसे उदाहरण हमारे सामने है, जिन्होंने अपनी प्रगति अपनी भाषाओं में की है। वह कहते थे कि भाषा ;अंग्रेजी ज्ञान के चक्कर में विद्यार्थी विषय ज्ञान में पारंगत नहीं हो पाते, इसलिए वे भाषा ज्ञान की तुलना में विषय ज्ञान को महत्व देते है ।अनेक विदेशी विद्वानों ने भारतीय ग्रन्थों का अपनी भाषा में अनुवाद कर भारत की अमूल्य सांस्ड्डतिक, साहित्यिक धरोहर को विश्व के समक्ष रखा है तथा पाठ्यक्रम में स्थान दिलाया है। हिंदी को संस्कृत की बड़ी बेटी का दर्जा प्राप्त है। हिंदी बहुत ही सरल भाषा है जिससे हर कोई सिखकर इसका प्रयोग कर सकता है। यह सिखने में बहुत ही आसान है। हिंदी को सिखने के लिए आपको अधिक खर्चे करने की भी जरूरत नहीं है, इस मात्र कुछ किताबों के मदद से सिखा जा सकता है। हिंदी भाषा का प्रयोग भारत के लोग अपने बचपन से करना शुरू कर देते है। हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग है जिनको हिंदी की जानकारी होते हुए भी अन्य भाषओं का प्रयोग करते हैं क्योंकि उनको लगता है कि हिंदी बोलने से उनके चरित्र पर सवाल उठेंगे। ये सोच रखने वाले हिंदी को अधिक महत्व नहीं देते लेकिन उनको यह जानकारी होनी चाहिए कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसे सिखने के लिए लोग लाखों रुपये खर्च करके भारत आते है। हिंदी के महत्व को जानने के लिए यही मात्र काफी है। अतः हम सभी अपनी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा हिन्दी को पूर्णतः अपनाकर राष्ट्र का गौरव बढ़ायें। गर्व से कह सके कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है, जिसमें विश्वबन्धुत्व की भावना कूट-कूटकर भरी है और इसका गौरवशाली इतिहास रहा है। हमारी एक ही भाषा ‘हिन्दी’ है। हमारे पास प्रचुर संसाधन हैं तथा मानव संसाधन की दृष्टि से भी भारत अग्रणी है। अतः आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी प्रतिस्पर्धा के इस दौर में राष्ट्रभाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है। जनभाषाओं का राजभाषा के साथ सा तालमेल, सहयोग होना चाहिए।हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सभी धर्मों के लोगों को जोड़े रखने का काम करती है। यह सिर्फ एक भाषा का काम ही नहीं करती, यह एक देश की संस्कृती, वेशभूषा, रहन सहन, पहचान आदि है। हमारे में से कई लोग ऐसी भी है जो यह मानते है कि वह हिंदी नहीं सीखेंगे फिर भी उनका काम बन जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि भारत में हर व्यक्ति अन्य भाषाओं को मुख्य भाषा के रूप में प्रयोग में नहीं ला सकता है। लेकिन हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसकी मदद से हर भारतीय आसानी से आपस में समझ सकते हैं। भारत की आत्मा के रूप में प्रचलित हिंदी देश के सभी भूभागों में वृहद् स्तर पर बोली जाती है। देश की राजभाषा के रूप में स्थापित हिंदी ने देश के विभिन राज्यों के बीच महत्वपूर्ण सेतु के रूप में कार्य किया है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी देश के सभी भूभाग के निवासियों को एक साथ लाकर स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने में हिंदी की महती भूमिका है। देश की सीमाओं के बाहर वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को मनाये जाने वाले हिंदी दिवस के माध्यम से हिंदी के वैश्विक स्तर पर प्रचार प्रसार के लिए व्यापक प्रयत्न किए जाते है। आज देश में विभिन राज्यों में विभिन भाषाओ को बोलने वाले देशवासी रहते है। हालांकि यदि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी एवं असम से लेकर गुजरात तक किसी भाषा का सबसे प्रचलित प्रयोग मिलता है तो वह निसंदेह ही हिंदी भाषा है। देश के प्राचीन इतिहास से लेकर स्वतंत्रता संग्राम एवं आधुनिक समय तक हिंदी ने देश के कोने-कोने से सभी निवासियों के मध्य सेतु के रूप में कार्य किया है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबित भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या 43.63 फीसदी है जो की देश की सभी भाषाओ में सर्वाधिक है।भारत में व्यापक रूप से प्रचलित हिंदी देश के बाहर नेपाल, सूरीनाम, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना एवं फिजी में भी बोली जाती है। देश में हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। देश में हिंदी का अत्यंत महत्व है। हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। हिंदी दिवस के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार से है:- वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार को बढ़ावा देना संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करना हिंदी के प्रति जागरूकता पैदा करने हेतु कार्य हिंदी को प्रमुख वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित करना हिंदी की त्रुटियों को दूर करके हिंदी भाषा में सुधार करना वैश्विक स्तर पर हिंदी के महत्व को बढ़ाना एवं प्रसार करना हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए विभिन कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इस अवसर पर भारत सरकार एवं विभिन राज्य सरकारो के द्वारा सरकारी कार्य को हिंदी में करने का संकल्प लिया जाता है एवं हिंदी को बढ़ावा देने के लिए विभिन कार्यक्रमो का संचालन किया जाता है। साथ ही देश या विदेश में इस दिवस पर एक प्रमुख कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी को 1950 के अनुच्छेद 343 के तहत देश की आधिकारिक भाषा के रूप में 1950 में अपनाया। इसके साथ ही भारत सरकार के स्तर पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाएं औपचारिक रूप से इस्तेमाल हुईं। 1949 में भारत की संविधान सभा ने देश की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया। वर्ष 1949 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस को उस दिन को याद करने के लिए मनाया जाता है जिस दिन हिंदी हमारे देश की आधिकारिक भाषा बन गई। यह हर साल हिंदी के महत्व पर जोर देने और हर पीढ़ी के बीच इसको बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है जो अंग्रेजी से प्रभावित है। यह युवाओं को अपनी जड़ों के बारे में याद दिलाने का एक तरीका है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहाँ तक पहुंचे हैं और हम क्या करते हैं अगर हम अपनी जड़ों के साथ मैदान में डटे रहे और समन्वयित रहें तो हम अपनी पकड़ मजबूत बना लेंगे। यह दिन हर साल हमें हमारी असली पहचान की याद दिलाता है और देश के लोगों को एकजुट करता है। जहां भी हम जाएँ हमारी भाषा, संस्कृति और मूल्य हमारे साथ बरकरार रहने चाहिए और ये एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करते है। हिंदी दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें देशभक्ति भावना के लिए प्रेरित करता है। उस दिन निबंध प्रतियोगिता, सेमिनार, वाद-विवाद, बैठक, चर्चा एवं अन्य माध्यमों से इस दिन हिंदी के प्रचार हेतु प्रयास किए जाते है। आज के समय में अंग्रेजी की ओर एक झुकाव है जिसे समझा जा सकता है क्योंकि अंग्रेजी का इस्तेमाल दुनिया भर में किया जाता है और यह भी भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। यह दिन हमें यह याद दिलाने का एक छोटा सा प्रयास है कि हिंदी हमारी आधिकारिक भाषा है और बहुत अधिक महत्व रखता है। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 13 सितम्बर /2025