राष्ट्रीय
11-Sep-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। अगर आंखों के सफेद हिस्से का रंग पीला दिखे और यह लंबे समय तक बना रहे, तो इसे हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। यह जानलेवा बीमारी ब्लड कैंसर के संकेत भी हो सकते हैं। दरअसल, ब्लड कैंसर का असर जब लिवर पर पड़ता है, तो शरीर में बिलिरुबिन नामक तत्व की मात्रा बढ़ने लगती है। यह तत्व मृत लाल रक्त कोशिकाओं को बाहर निकालने का काम करता है। लेकिन कैंसर सेल्स की वजह से यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, जिससे बिलिरुबिन शरीर में जमा हो जाता है और आंखें पीली दिखने लगती हैं। कई बार त्वचा का रंग भी पीला पड़ जाता है, जो ब्लड कैंसर का बड़ा संकेत हो सकता है। ल्यूकेमिया एक ऐसा कैंसर है जो रक्त और अस्थि मज्जा को प्रभावित करता है। इसमें रक्त कोशिकाओं का उत्पादन अनियंत्रित हो जाता है और वे सामान्य कोशिकाओं को दबाने लगती हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। यही कारण है कि मरीज बार-बार बीमार पड़ने लगता है। बच्चों और बुजुर्गों में इसका खतरा सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसके अलावा, धूम्रपान करने वाले, रेडिएशन के संपर्क में रहने वाले लोग और जिनके परिवार में पहले किसी को ब्लड कैंसर हो चुका हो, उनमें इसका खतरा अधिक होता है। ल्यूकेमिया के शुरुआती लक्षणों में लगातार थकान, रात में पसीना आना, बिना कारण बुखार, सांस फूलना, बार-बार संक्रमण होना, अचानक वजन घटना, हड्डियों और जोड़ों में दर्द रहना, गर्दन या बगल की लिम्फ नोड्स में सूजन, मसूड़ों या नाक से खून आना और हल्की चोट पर नीले निशान पड़ना शामिल हैं। ये लक्षण अक्सर सामान्य समझकर अनदेखे कर दिए जाते हैं, लेकिन समय रहते पहचान ही जीवन बचा सकती है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि जीवनशैली को संतुलित रखा जाए। धूम्रपान और तंबाकू से पूरी तरह दूरी बनाना सबसे पहला कदम है। साथ ही, ऐसे लोग जो रेडिएशन या हानिकारक केमिकल्स के संपर्क में काम करते हैं, उन्हें सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए। संतुलित आहार जिसमें हरी सब्जियां, फल और विटामिन C, फोलिक एसिड तथा आयरन शामिल हों, इम्यूनिटी को मजबूत करता है। योग, ध्यान और पर्याप्त नींद भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। आंखों का पीला पड़ना हमेशा साधारण समस्या नहीं होती। यह शरीर के अंदर छिपे किसी गंभीर रोग का संकेत हो सकता है। सुदामा/ईएमएस 11 सितंबर 2025