-दो सालों से चल रही है चर्चा, अब सरकार इसको लेकर हुई सक्रिय नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत के अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) प्रोजेक्ट में फ्रांस के साथ जो बात चल रही है, उसमें प्रगति होने की खबर सामने आई है। फ्रांस की जेट इंजन बनाने वाली कंपनी सफ्रान एसए और डीआरडीओ के गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट के ज्वाइंट प्रोजेक्ट को मंजूरी के इंतजार के बीच यह जानकारी सामने आई है कि यह इंजन पूरी तरह से भारत में ही बनने वाला है। मतलब, अमेरिकी कंपनी जीई से जो काम नहीं हो पाया, उसके लिए फ्रांस की कंपनी पूरी तरह से तैयार हो गई है। बता दें 15 अगस्त को पीएम मोदी ने लाल किले से स्वदेशी जेट इंजन के विकास का आह्वान किया था। उसके बाद फ्रांस से जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उससे यही अनुमान लगाया जा रहा है कि वह भारत से दोस्ती निभाने के लिए बड़ा कदम उठाने को तैयार है। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी स्वदेशी फाइटर जेट के लिए अपने ही देश में इंजन बनाने की बात पर जोर दे चुके हैं। एचटी ने अब एक रिपोर्ट पेश की है, जिसके मुताबिक सफ्रान-जीटीआरई 12 साल में फाइटर जेट इंजन के 9 प्रोटोटाइप विकसित करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक शुरू में सफ्रान और जीटीआरई मिलकर 120 केएन पावर क्षमता के जेट इंजन बनाएंगे और शुरुआत से 12 साल के अंदर इसकी क्षमता बढ़ाकर 140 केएन पावर तक ले जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक यह इंजन भारत में ही बनेंगे और इसके लिए सफ्रान, डीआरडीओ को 100 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करेगी। इस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में क्रिस्टल ब्लेड टेक्नोलॉजी भी शामिल होगी। वैसे डीआरडीओ के पास क्रिस्टल ब्लेड टेक्नोलॉजी है, लेकिन पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है। खास बात यह है कि इस तरह से भारत में जो फाइटर जेट का इंजन बनेंगे उसका बौद्धिक संपदा अधिकार भारत के पास ही रहेगा। सफ्रान और डीआरडीओ के बीच स्टील्थ फाइटर जेट इंजन को लेकर इस तरह की डील की चर्चा पिछले दो सालों से चल रही है, लेकिन अब सरकार इसको लेकर सक्रिय हो गई है और जल्द ही इसे हरी झंडी मिल सकती है। एएमसीए एक मल्टी-रोल एयरक्राफ्ट होगा, जिसमें दो इंजन होंगे, जिसके लिए 120-140 केएन इंजन बनाए जाने हैं। एएमसीए का विकास और निर्माण निजी क्षेत्र की कंपनियां करेंगी, जिसमें योगदान देने के लिए टाटा ग्रुप, लार्सन एंड टूब्रो और अडानी डिफेंस तैयार हैं। बता दें आज की तारीख में चीन के पास भी अपने अत्याधुनिक फाइटर जेट के लिए अपना इंजन नहीं है। वह रूसी या रिवर्स इंजीनियर्ड इंजनों के भरोसे काम कर रहा है। सिर्फ अमेरिका, रूस, यूके और फ्रांस ने ही यह क्षमता हासिल की है। ऐसे में भारत में इस तरह का इंजन निर्माण चीन को चिढ़ा सकता है। हालांकि भारत अपनी कावेरी इंजन पर कई दशक पहले काम शुरू कर चुका है, लेकिन अभी तक इसे पूरी कामयाबी नहीं मिल सकी है। सिराज/ईएमएस 12 सितंबर 2025