नई दिल्ली,(ईएमएस)। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के आरोपी और फरार कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत लाने की कोशिश तेज हो गई है। इस कड़ी में केंद्र सरकार ने बेल्जियम प्रशासन को पत्र लिखकर आश्वासन दिया है कि प्रत्यर्पण के बाद चोकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12 में रखा जाएगा, जहां उसे साफ बिस्तर, संतुलित भोजन, व्यायाम और मनोरंजन की सुविधाएं मिलेंगी। दरअसल, बेल्जियम और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन आरोपी के मानवाधिकारों की गारंटी देना अनिवार्य शर्त है। इसी वजह से भारत को बार-बार जेलों की स्थिति और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर विस्तृत रिपोर्ट देनी पड़ रही है। इससे पहले विजय माल्या और हथियार व्यापारी संजय भंडारी जैसे मामलों में भी भारत सरकार ने ब्रिटेन को भरोसा दिलाया था कि आरोपियों को सुरक्षित और मानवीय माहौल मिलेगा। गौरतलब है कि कई भगोड़े कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए विदेशी अदालतों में यही दलील देते हैं कि भारत की जेलें असुरक्षित हैं, वहां हिंसा और मानवाधिकार हनन का खतरा है। यूरोपीय देशों और ब्रिटेन की अदालतें इस तर्क को गंभीरता से लेती हैं। यूरोपियन कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स साफ कहता है कि किसी आरोपी को ऐसे देश में नहीं भेजा जा सकता जहां उसे अमानवीय व्यवहार या जान का खतरा हो। यही कारण है कि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अक्सर लंबी और जटिल हो जाती है। एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, 2002 से अब तक भारत 66 भगोड़ों को अलग-अलग देशों से वापस लाने में सफल रहा है। इनमें सबसे अधिक प्रत्यर्पण यूएई और अमेरिका से हुए हैं, जबकि यूके से केवल एक आरोपी ही लौटाया जा सका है। यही वजह है कि ब्रिटेन और यूरोपीय देशों की अदालतों को संतुष्ट करने के लिए भारत बार-बार सुरक्षा और जेल सुधारों का हवाला देता है। जुलाई में ब्रिटिश क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस की एक टीम ने दिल्ली की तिहाड़ जेल का निरीक्षण किया था। टीम ने हाई सिक्योरिटी वार्ड और निगरानी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। माना जा रहा है कि यह दौरा विजय माल्या, नीरव मोदी और संजय भंडारी जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों को लेकर हुआ था। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्यर्पण संधि होने के बावजूद हर देश अपने यहां रहने वाले व्यक्ति की सुरक्षा और अधिकारों को सर्वोपरि मानता है। आरोपी को लौटाने से इनकार भी किया जा सकता है, अगर यह साबित हो जाए कि उसके साथ दुर्व्यवहार या राजनीतिक प्रतिशोध की आशंका है। भारत सरकार के लिए अब चुनौती है कि वह विदेशी अदालतों को यह भरोसा दिला सके कि यहां की जेलों में मानवीय गरिमा, सुरक्षा और निष्पक्ष सुनवाई की पूरी गारंटी है। तभी चोकसी समेत अन्य भगोड़े आर्थिक अपराधियों की घर वापसी संभव हो पाएगी। हिदायत/ईएमएस 12 सितंबर 2025