व्यापार
13-Sep-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को हुई बोर्ड की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। इनमें आईपीओ नियमों में बदलाव, मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग (एमपीएस) के पालन के लिए ज्यादा समय, विदेशी निवेशकों के लिए आसान रास्ते और इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स का दर्जा देना शामिल है। सेबी ने बड़ी कंपनियों के लिए छोटे साइज का आईपीओ लाने का रास्‍ता साफ कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब बड़ी कंपनियां अपने आईपीओ में अपने पेड-अप कैपिटल का न्यूनतम 2.5 फीसदी शेयर बेच सकेंगी। अभी लिस्टिंग के बाद पांच लाख करोड़ रुपए वाली कंपनियों को आईपीओ में कम से कम अपने पेड-अप कैपिटल का 5 फीसदी शेयर बेचने पड़ते हैं। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि हम मौजूदा चार हजार करोड़ लेवल की कैटेगरी के अलावा चार अतिरिक्त कैटेगरी पेश कर रहे हैं जो इस प्रकार हैं- 4,000 करोड़ से 50,000 करोड़, 50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़, 1 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ और 5 लाख करोड़ से ज्यादा। ऐसी कंपनियां जिनका मार्केट कैप 5,500 करोड़ से लेकर 1 लाख करोड़ रुपए तक होगा, उनके लिए न्यूनतम पब्लिक ऑफर एक हजार करोड़ रुपए+इश्यू के बाद 8 फीसदी मार्केट कैपिटलाइजेशन होगा। 1 लाख करोड़ से ऊपर की कंपनियों का मिनिमम पब्लिक ऑफर (एमपीओ) 6,250 करोड़ रुपए + 2.75फीसदी मार्केट कैपिटलाइजेशन होगा। 5 लाख करोड़ एमकैप वाली कंपनियों के लिए एमपीओ 15,000 करोड़ रुपए + 1फीसदी मार्केट कैपिटलाइजेशन तय किया गया है, जिन कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 50,000 करोड़ से एक लाख करोड़ रुपए होगा, उन्हें 25 फीसदी के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (एमपीएस) नियम के पालन के लिए 5 साल का समय मिलेगा। अभी ऐसी कंपनियों को इस नियम के पालन के लिए सिर्फ तीन साल का समय दिया जाता है। ऐसी कंपनियां जिनका मार्केट कैपिटलाइजेशन लिस्टिंग के बाद 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा होगा, उन्हें मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम के पालन के लिए 10 साल मिलेंगे। लो-रिस्क विदेशी निवेशकों को अब सिंगल विंडो एक्सेस के जरिए भारतीय बाजार में प्रवेश मिलेगा। इससे निवेश प्रक्रिया सरल होगी और भारत को आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में बढ़ावा मिलेगा। सिराज/ईएमएस 13सितंबर25