ज़रा हटके
16-Sep-2025
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वॉशिंगटन (ईएमएस)। फैटी जंक फूड का सेवन केवल मोटापा या डायबिटीज ही नहीं, बल्कि दिमागी सेहत को भी तेजी से प्रभावित करता है। यह दावा किया है अमेरिका स्थित उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय (यूएनसी) के वैज्ञानिकों ने। ताजा अध्ययन से पता चला है कि हाई-फैट-डाइट (एचएफडी) का असर कुछ ही दिनों में सोचने-समझने और याददाश्त की क्षमता पर पड़ने लगता है। शोध के अनुसार, लगातार चार दिन तक उच्च वसा वाले जंक फूड खाने से हिप्पोकैम्पस में मौजूद मस्तिष्क कोशिकाओं का एक विशेष समूह, जिसे सीसीके इंटरन्यूरॉन्स कहा जाता है, असामान्य रूप से सक्रिय हो जाता है। यह अतिसक्रियता मस्तिष्क द्वारा स्मृति प्रसंस्करण को बाधित करती है और सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर कर देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रभाव वजन बढ़ने या डायबिटीज की समस्या से पहले ही दिमाग पर असर डालना शुरू कर देता है। यूएनसी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मुख्य अन्वेषक और फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर जुआन सोंग के अनुसार, इन इंटरन्यूरॉन्स की सक्रियता का कारण मस्तिष्क की ग्लूकोज ग्रहण करने की क्षमता का कमजोर होना है। जैसे ही ग्लूकोज की कमी होती है, कोशिकाएं अपनी गतिविधि बदल लेती हैं और यह बदलाव ही स्मृति को कमजोर करने के लिए काफी होता है। अध्ययन चूहों पर किया गया और नतीजों ने दिखाया कि चार दिनों तक हाई-फैट-डाइट खाने से उनकी याददाश्त प्रभावित हो गई। इस शोध में यह भी सामने आया कि पीकेएम2 नामक एक प्रोटीन इस प्रक्रिया को और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन मस्तिष्क कोशिकाओं की ऊर्जा उपयोग क्षमता को नियंत्रित करता है। अच्छी खबर यह रही कि मस्तिष्क में ग्लूकोज का स्तर सामान्य करने से अतिसक्रिय न्यूरॉन्स शांत हो गए और स्मृति संबंधी समस्याएं ठीक होने लगीं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हाई-फैट-डाइट के बाद इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से फायदा हो सकता है। इससे सीसीके इंटरन्यूरॉन्स सामान्य हो जाते हैं और मेमोरी सुधारने में मदद मिलती है। विशेषज्ञों का मानना है कि खान-पान में बदलाव और उचित जीवनशैली अपनाकर मोटापे से जुड़ी न्यूरोडीजेनेरेशन समस्याओं को रोका जा सकता है और ब्रेन हेल्थ को बेहतर बनाए रखा जा सकता है। सुदामा/ईएमएस 16 सितंबर 2025