मुंबई, (ईएमएस)। मुंबई की आपराधिक दुनिया का कभी बड़ा नाम रहा गैंगस्टर अरुण गवली अब मुंबई के भायखला स्थित अपने घर दगड़ी चाल लौट आए हैं। मर्डर के आरोप में आजीवन सजा के तहत गवली नागपुर की सेंट्रल जेल में 18 साल बिताने के बाद बाहर आए हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब गवली जेल से बाहर आए हैं। इससे पहले, वह कभी-कभार पैरोल पर बाहर आते रहे। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने 76 वर्षीय अरुण गवली को 2007 के शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर हत्याकांड में ज़मानत दे दी। अरुण गवली कभी मुंबई की आपराधिक दुनिया का एक बड़ा नाम था। गवली का दाऊद, छोटा राजन, अमर नाइक जैसे आपराधिक गिरोहों से सीधा टकराव था। अरुण गवली, छोटा राजन, दाऊद इब्राहिम को आज भी अंडरवर्ल्ड डॉन कहा जाता है। आपराधिक दुनिया में इनका एक खास दबदबा बना हुआ है। आज मुंबई का अंडरवर्ल्ड पहले जितना सक्रिय नहीं है। आपराधिक गिरोहों की ताकत खत्म हो गई है। हालांकि, अरुण गवली का नाम अब भी दक्षिण मुंबई के भायखला इलाके में छाया हुआ है। राजनीतिक जानकार अरुण गवली की जेल से रिहाई के समय पर ध्यान खींच रहे हैं। दरअसल अगले कुछ महीनों में मुंबई महानगरपालिका के चुनाव हैं। उससे पहले अरुण गवली जेल से बाहर आ गए हैं। क्या अरुण गवली भायखला के साढ़े तीन लाख मतदाताओं को प्रभावित कर पाएंगे? अब इस पर चर्चा हो रही है। दरअसल भायखला को अरुण गवली का गढ़ माना जाता है। गवली के जेल में रहने के दौरान उनकी बेटी गीता गवली लगातार इस इलाके से महानगरपालिका का चुनाव जीतती रही हैं। अरुण गवली खुद निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। 2004 में उन्होंने चिंचपोकली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीता था। इससे पहले, लोकसभा चुनाव में उन्हें 92 हज़ार वोट मिले थे। कमलाकर जामसांडेकर हत्याकांड में जेल जाने के बाद, अरुण गवली का राजनीति से कोई सीधा संबंध नहीं रहा। लेकिन उनकी बेटी उस इलाके से लगातार चुनाव जीतती रही हैं। गवली की अखिल भारतीय सेना ने महानगरपालिका में हमेशा शिवसेना का समर्थन किया है। लेकिन अब शिवसेना में दो गुट हो गए हैं। तो इस साल के मनपा चुनाव में गवली का का साथ किसे मिलेगा ? सबको इस बात की उत्सुकता है। क्योंकि भले ही अरुण गवली अब इस इलाके में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन उनका प्रभाव अभी भी काफी हद तक बरकरार है। इस साल का चुनाव उद्धव ठाकरे गुट और भाजपा, दोनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। उद्धव ठाकरे का इस मनपा चुनाव में सब कुछ दांव पर लगा है। इसलिए, इस साल के चुनाव में अरुण गवली महायुति या महाविकास अघाड़ी का समर्थन करेंगे या नहीं, यह कई राजनीतिक समीकरणों पर निर्भर करता है। मगर इतना तो तय है कि इस बार के मनपा चुनाव में अरुण गवली के चलते दक्षिण मुंबई में राजनीतिक समीकरण बदलेगा। स्वेता/संतोष झा- १६ सितंबर/२०२५/ईएमएस