राष्ट्रीय
16-Sep-2025
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स्वीकृत पद उपलब्ध नहीं होने पर भी स्थाई करने से नहीं कर सकते इनकार मुंबई,(ईएमएस)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी नियोक्ता ने किसी कर्मचारी से लंबे समय तक सेवा ली है और पद स्वीकृत नहीं होने की वजह से उसकी नौकरी परमानेंट नहीं की है तो यह नहीं चलेगा बल्कि उसे हर हाल में स्थायी करना होगा। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि निरंतर सेवा की अपेक्षित अवधि पूरी कर चुके कर्मचारियों को केवल इस आधार पर स्थायी दर्जा देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि स्वीकृत पद उपलब्ध नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अगर इस तरह से किसी नियोक्ता ने इनकार किया तो यह कर्मचारियों के निरंतर शोषण के समान होगा, जो कल्याणकारी कानूनों और सामाजिक न्याय के प्रावधानों के खिलाफ है। जस्टिस मिलिंद एन जाधव ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में कार्यरत 22 वन मजदूरों की रिट याचिका पर यह फैसला सुनाया है। ये मजदूर 2003 से ही संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में वन्य जीवों की सेवा में चौकीदार, माली, रसोइया और पिंजरों की देखभाल जैसे पदों पर काम कर रहे थे। उनकी ड्यूटी जोखिम भरी थी क्योंकि उनके कामों में बाघों, शेरों और तेंदुओं को खाना खिलाना, दवाइयां देना, पिंजरों की सफाई करना और उद्यान में गश्त और आग पर नियंत्रण जैसे जोखिम वाले कार्य शामिल थे। हालांकि ये लोग पिछले 22 साल से वहां काम कर रहे थे इसके बावजूद औद्योगिक न्यायालय ने उनकी स्थायी नौकरी के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वहां कोई स्वीकृत पद नहीं है। इस कोर्ट के फैसले के खिलाफ इन लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि उन्होंने वन विभाग द्वारा बनाए गए उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज हाजिरी के मुताबिक लगातार पाँच सालों तक हरेक कैलेंडर वर्ष में 240 दिनों की सेवा पूरी की है। रिपोर्ट के मुताबिक इन लोगों ने याचिका में 16 अक्टूबर 2012 के उस सरकारी प्रस्ताव का हवाला दिया था, जिसके अनुसार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को पांच सालों में 240 दिनों की सेवा पूरी करने पर स्थायी किए जाने का प्रावधान शामिल है। राज्य ने इस दलील का विरोध करते हुए तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति अस्थायी कर्मचारी के तौर पर हुई थी, उन्हें किसी स्वीकृत पद या चयन प्रक्रिया के जरिए नियुक्त नहीं किया गया था और 2012 के प्रस्ताव के तहत सृजित 125 अतिरिक्त पद पहले ही भरे जा चुके हैं, लेकिन हाईकोर्ट ने ये दलील नहीं मानी और निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए सभी 22 मजदूरों की नौकरी को स्थायी करने का आदेश दिया। सिराज/ईएमएस 16सितंबर25