लेख
16-Sep-2025
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17 सितम्बर 1950 को बॉम्बे राज्य, महेसाना जिले के वडनगर में राबेन दामोदरदास मूलचंद मोदी के घर अवतरित देश के प्रधान सेवक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर्तव्य निष्ठा, कार्य क्षेमता, स्पष्ट दूरदर्शिता और चरित्र की अखंडता आदि की कुशलता के घोतक है। आपकी छवि एक मर्मस्पर्शी, सर्वग्राही कर्मयोगी, कठोर प्रशासक और कड़े अनुशासन आग्रही की मानी जाती है। वे यथार्थवादी के साथ समर्पित, आदर्शवादी भी हैं। झलक बचपन से ही अपने पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया था। उन्होंने रेलवे स्टेशन पर सफर करने वाले सैनिकों की भरपूर सेवा की। नरेंद्र मोदी ने अपनी स्कूली शिक्षा वडनगर से पूर्ण की थी। इन्हें वाद-विवाद और नाटक प्रतियोगिताओं में बहुत रूचि रही। वे राजनीतिक और विकास मूलक विषयों पर नई-नई आयामों, नवाचारों को प्रारंभ करने में भी काफी अविरल रहे। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। मोदी जी राजनेता के साथ-साथ एक अच्छे इंसान, कर्मयोगी, लेखक और कवि भी है। एक स्वंय सेवक नरेंद्र भाई ने किशोरावस्था में अपने भाई के साथ चाय की दुकान पर काम किया। युवावस्था में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल होकर भ्रष्टाचार के विरोधी नवनिर्माण आन्दोलन में अहम किरदार बनें। मोदी जी जब विश्वविद्यालय में पढ़ते थे तभी से वे राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की शाखा में नियमित जाने लगे थे। 1958 के शुरूआती दौर में ही निस्वार्थता, सामाजिक जवाबदारी, समर्पण और राष्ट्रवाद की भावना को आत्मसात कर लिया। 1967 में गुजरात के बाढ़ पीड़ितों की बेपनाह सेवा की। महत्ती भूमिका इसी तरह से उनकी जिंदगी एक संघ के निष्ठावान प्रचारक के रूप में शुरू हुई। उन्होंने शुरू से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलाई और भारतीय जनता पार्टी का जनाधार मजबूत करने में महत्ती भूमिका निभाई। उल्लेखनीय, 1998 से उन्होंने भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री का उत्तरदायित्व 2001 तक बखूबी निर्वहन किया। फलीभूत, भारतीय जनता पार्टी ने 2001 में केशुभाई पटेल की जगह पर नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा। तबसे निरंतर 2014 तक चार बार मुख्यमंत्री रहे। सम्यक गुजरात भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं से पड़े विपरीत प्रभावों से लड़ रहा था। उन्होंने गुजरात में विकास की कई कारगर योजनाएँ चलाईं। संसद की दहलीज को सजदा अभिभूत, भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में मोदी जी नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा। जिसमें पार्टी को अभूतपूर्व सफलता मिली। जहाँ पर इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 336 सीटें अर्जित की। वहीं पर अकेले भारतीय जनता पार्टी ने 282 सीटों पर विजय प्राप्त की। बाद 20 मई 2014 को संसद भवन में भाजपा संसदीय दल एवं सहयोगी दल की संयुक्त बैठक में नरेंद्र मोदी ने संसद भवन में प्रवेश करने से पहले उसकी दहलीज को झुककर वैसे ही प्रणाम किया, जैसे किसी पवित्र मन्दिर में सजदा करते हैं। संसद भवन के इतिहास में ऐसा करके उन्होंने सभी के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया। हर भारतीय का सिर फक्र से ऊंचा नरेन्द्र मोदी ने अनेक संघर्षों, तपस्या और जनाकांक्षाओं के साथ 26 मई 2014 के पावन अवसर पर स्वतंत्र भारत के 15 वें प्रधानमंत्री की शपथ ली। फिर भारी बहुमत के साथ 2019 में देश ने उन्हें भारत की कमान सौंपी। क्रम में 2004 में निरंतर तीसरी बार देश प्रधान सेवक अपितु प्रधानमंत्री का दायित्व संभाला। उनके कुशल नेतृत्व में राष्ट्र ने विकास, जनकल्याण, समृद्ध और समृद्धि की कालजई नीत नई गाथा गढ़ी। जिनमें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, कश्मीर से धारा 370, 35 ए की समाप्ति, तीन तलाक को तलाक, सम्मान नागरिकता संहिता, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, बेटी बढ़ाओ, बेटी पढ़ाओ, जन-धन योजना, आत्मनिर्भर भारत, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान, कोरोना निशुल्क वैक्सीनेशन और किसान सम्मेलन निधि, आयुष्मान भारत योजना, आपरेशन सिंदुर जैसे गंगनचुंबी कार्य हर भारतीय का सिर फक्र से ऊंचा कर देते हैं। बहुयामी जननायक प्रतिष्ठित लोक कल्याणकारी कार्यकाल में विदेशों ने भी प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि देश के प्रधान सेवक के कुशल नेतृत्व से कायल होकर अपने सर्वोच्च सम्मानों से नवाजनें में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। ये प्रधानमंत्री के तौर पर देश का सच्चा सम्मान है। जिसका वतन बरसों से हकदार था। ऐसे बहुयामी जननायक को देश हमेशा याद रखेंगा। जिन्हें जन्मोत्सव की शुभकामनाएं पर मुझे गर्व और गौरव की अपार अनुभूति हो रही है। इस अवसर पर सारा देश सेवा पखवाड़ा के निमित्त विविध सेवा भावी आयोजन में अपना अहम योगदान निरूपित करता है। हेमेन्द्र क्षीरसागर/16सितंबर2025