गांधीनगर (ईएमएस)| केंद्र सरकार द्वारा हर साल सितंबर महीने को पोषण मास के रूप में मनाया जाता है और इस साल यह आठवां संस्करण है। सरकार, नागरिकों और संस्थाओं के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप, पोषण अभियान सही मायने में एक जन आंदोलन बन गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रदेश के बच्चों, माताओं और किशोरियों को अधिक सुपोषित बनाने के लिए अनेक पोषण-उन्मुखी योजनाएँ क्रियान्वित की जा रही हैं। इस वर्ष, पोषण मास पूरे देश में 17 सितम्बर से 16 अक्टूबर 2025 तक मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सही पोषण देश रोशन आह्वान को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने कई नवीन पोषण-उन्मुख पहल शुरू की हैं। भारत को कुपोषण से मुक्त करने के उद्देश्य से वर्ष 2018 से देशभर में प्रतिवर्ष क्रमशः मार्च-अप्रैल और सितम्बर माह में ‘पोषण पखवाड़े’ और ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ मनाया जा रहा है। इस मिशन का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक के जीवन में स्वास्थ्य और संतुलित आहार सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री भानुबेन बाबरिया के मार्गदर्शन में राज्य में कुपोषण से निपटने और बच्चों एवं महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए कई अभिनव पहल की गई हैं। सरकार महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और सामुदायिक भागीदारी सहित कई माध्यमों से कुपोषण को दूर करने के प्रयास कर रही है। पोषण माह के दौरान, राज्य में 6 मुख्य थीमों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। इनमें नागरिकों को पोषण के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न पोषण संबंधी गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी। 1) मोटापे के प्रति जागरूकता - चीनी, नमक और तेल का सेवन कम करें मोटापा एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है और इसे रोकने के लिए जागरूकता ज़रूरी है। इसके लिए हमें अपने आहार में चीनी, नमक और तेल का सेवन कम करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इन तीनों तत्वों के अत्यधिक सेवन से शरीर का वजन बढ़ता है, जिससे हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस संबंध में जन जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी। 2) प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा / पोषण भी पढ़ाएँ भी प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) बच्चे के समग्र विकास के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, पोषण भी पढ़ाई भी (पीबीपीबी) पहल शुरू की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। यह कार्यक्रम बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को सुनिश्चित करता है। इस पहल के तहत, आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को खेल-आधारित शिक्षा और संतुलित आहार प्रदान किया जाता है। 3) संयुक्त कार्रवाई और डिजिटलीकरण स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, महिला एवं बाल विकास, पर्यावरण जैसे विभाग पोषण कार्य पर समग्र रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। स्थानीय संगठन, योजना और कार्यान्वयन अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं (आंगनवाड़ी, आशा), स्कूलों और समुदायों के समन्वय से किया जाता है। गति और सटीकता बढ़ाने के लिए कागज़-आधारित डेटा से लेकर मोबाइल-ऐप पोषण ट्रैकर तक काम किया जा रहा है। 4) नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के आहार संबंधी नियम नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के आहार संबंधी नियम बच्चे के समुचित विकास और पोषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जीवन के पहले छह महीनों तक नवजात शिशु के लिए माँ का दूध ही एकमात्र आहार होता है। छह महीने के बाद बच्चों को ऊपरी आहार देना शुरू कर देना चाहिए। इन आदतों को अपनाने से बच्चों को सुपोषित बनाने में मदद मिलेगी। इस पोषण माह के दौरान अभिभावकों को इस विषय पर जागरूक किया जाएगा। 5) बच्चों के पोषण और देखभाल में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाएँ बच्चों के पोषण और देखभाल में न केवल माँ, बल्कि पिता और परिवार के अन्य पुरुष सदस्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पुरुषों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। इससे परिवार के लिए पोषण और स्वास्थ्य से जुड़े फैसले लेना आसान हो जाएगा और माँ पर बोझ भी कम होगा। जब पिता बच्चों की देखभाल में हिस्सा लेते हैं, तो बच्चों में सुरक्षा की भावना बढ़ती है और उनका मानसिक और भावनात्मक विकास बेहतर होता है। 6) वोकल फॉर लोकल - स्थानीय भोजन और खान-पान की प्रथाओं को बढ़ावा देना वोकल फॉर लोकल आत्मनिर्भर भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पहल स्थानीय भोजन और पारंपरिक खान-पान की प्रथाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। हमारे देश के हर क्षेत्र में उपलब्ध पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों की विविधता, आधुनिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से कहीं अधिक लाभदायक है। स्थानीय खाद्य पदार्थों का सेवन न केवल शरीर के लिए, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी होगा। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के सकारात्मक प्रयासों और समाज के सहयोग से पोषण अभियान स्वस्थ एवं सुपोषित गुजरात के निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम साबित हो रहा है। सतीश/18 सितंबर