लेख
18-Sep-2025
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जा पर कृपा राम की होय, ता पर कृपा करहिं सब कोय…” रामचरितमानस की यह पंक्ति केवल शब्द नहीं, बल्कि दिव्यता की अनुभूति है। जब प्रभु की कृपा किसी जीव पर बरसती है, तो संसार की सारी शक्तियाँ स्वयं उसके पक्ष में खड़ी हो जाती हैं। यही भाव उस भजन में भी झलकता है— “मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है… तेरी प्रेरणा से ही सब कमाल हो रहा है…”। यह भाव व्यक्ति के भीतर ऊर्जा का संचार करता है, मन को विचलन से मुक्त कर आत्मविश्वास से भर देता है। प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के जीवन में यही भाव स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होते हैं। उनके व्यक्तित्व में मां और गुरु के प्रति गहन श्रद्धा, आस्था और समर्पण की शक्ति दिखती है। मां नर्मदा की कृपा हो या जन्म देने वाली मां का आशीर्वाद—इन दोनों का सामर्थ्य उनके लिए अमूल्य निधि है। यही कृपा उन्हें कठिन से कठिन मार्ग पर भी सहज बना देती है। उनके जीवन की साधना केवल राजनीतिक या प्रशासनिक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा भी है, जिसमें गुरु-शक्ति उनका पथ आलोकित करती है। 14 सितंबर को इंदौर की पावन धरा पर आयोजित हुआ भव्य और दिव्य आयोजन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। उनकी कृति “परिक्रमा कृपा सार” का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परमपूज्य सरसंघचालक मोहन भागवत के करकमलों से होना साधारण घटना नहीं, बल्कि संत-शक्ति और मातृ आशीर्वाद की अनुभूति है। यह आयोजन केवल साहित्य या राजनीति का नहीं, बल्कि आस्था और कृपा के संगम का प्रतीक बन गया। आयोजन के कुछ दिन पहले तक मंत्री पटेल अपनी माता जी के स्वास्थ्य को लेकर अंतर्मन में व्याकुल थे। लेकिन परिवार, परिजनों और सहयोगियों का संबल उनके लिए शक्ति बना। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद वे इंदौर से सीधे भोपाल होते हुए अपनी मां से मिलने अस्पताल पहुंचे और उनके आशीर्वाद से अपने आत्मविश्वास को और पुष्ट किया। यह प्रसंग दर्शाता है कि जब आपके भीतर संकल्प, सेवा और श्रद्धा का संगम हो और ऊपर से अदृश्य शक्तियों की कृपा बरसे, तब जीवन की सबसे कठिन राह भी सरल हो जाती है। “प्रहलाद” नाम का अर्थ ही “अत्यधिक आनंद” या “परम सुख” है। संस्कृत के ‘प्र’ और ‘आह्लाद’ से बना यह नाम निरंतर आनंद और दिव्यता में स्थिर रहने की स्थिति को दर्शाता है। मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल अपने नाम के इस अर्थ को जीवन में जीते प्रतीत होते हैं। वे केवल राजनेता नहीं, बल्कि एक ऐसे पथिक हैं जो अपने आध्यात्मिक पाथेय के साथ समाज-सेवा और धर्म-संरक्षण की राह पर दृढ़ता से अग्रसर हैं। यह हमें बताता है कि कृपा केवल विश्वास नहीं, बल्कि एक सशक्त ऊर्जा है। यह ऊर्जा हमें झंझावतों में भी अडिग रहने, सेवा को साधना मानने और हर स्थिति में समत्व भाव रखने की प्रेरणा देती है। मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का जीवन इस कृपा के साक्षात् स्वरूप की तरह है—जहाँ संकल्प, श्रद्धा और मातृ-गुरु आशीर्वाद मिलकर कठिन मार्ग को भी सुगम बना देते हैं। यही है “परिक्रमा कृपा सार” का जीवंत अर्थ—संकल्प, समर्पण और दिव्य कृपा का अद्भुत संगम। (वरिष्ठ पत्रकार) .../ 18 ‎सितम्बर /2025