अंतर्राष्ट्रीय
18-Sep-2025


तेलअवीव (ईएमएस)। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और तुर्की के राष्ट्रपति रेजेप तैय्यप एर्दोगन के बीच पुरातात्विक और राजनयिक असंतोष ने खुलकर सामने आ गया है। नेतन्याहू ने हालिया कार्यक्रम में बताया कि 1998 में उन्होंने तुर्की से 2,700 साल पुराना सिलोआम इंसक्रिप्शन वापस दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन तत्कालीन इस्तांबुल मेयर अब के राष्ट्रपति एर्दोगन के विरोध के कारण यह नहीं हो सका। नेतन्याहू के इन बयानों पर एर्दोगन ने तीखा पलटवार कर दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग बढ़ गई है। नेतन्याहू ने कहा कि 1998 में उन्होंने तब के प्रधानमंत्री मेसुत यिलमाज से सिलोआम अभिलेख लौटाने का अनुरोध किया था और बदले में इस्तांबुल के संग्रहालय में रखी कुछ ओटोमन कलाकृतियाँ देने का प्रस्ताव रखा था। नेतन्याहू के अनुसार यिलमाज ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया, क्योंकि तब इस्तांबुल के मेयर एर्दोगन के नेतृत्व वाले इस्लामिक मतदाता खंड ने ऐसा करने का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने इसका हवाला देकर कहा, “यह हमारा शहर है… यह फिर कभी बाँटा नहीं जाएगा।” एर्दोगन ने कहा कि तुर्की सदियों से येरुशलम की सेवा करता रहा है और वह ऐतिहासिक अभिलेखागारों को किसी भी कीमत पर नहीं देगा। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू ‘नफरत की आग’ में जलता रहे। रिपोर्ट हुआ है कि सिलोआम अभिलेख 1880 में येरुशलम से पाया गया और ओटोमन काल में इस्तांबुल के पुरातत्व संग्रहालय भेज दिया गया था, जहाँ वह आज भी प्रदर्शित है। सिलोआम अभिलेख पालियो-हिब्रू लिपि में लिखित एक पत्थर का शिलालेख है जो करीब 2,700 वर्ष पूर्व यरुशलम के पानी के चैनल (सिलोआम सुरंग और तालाब) का वर्णन करता है। यह यहूदी पुरातत्व के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण शिलालेखों में से एक माना जाता है; इसके कुछ हिस्सों की प्रतिकृति इजरायल म्यूजियम में भी रखी गई है, जबकि मूल इस्तांबुल में है। इतिहासकार और पुरातत्वविद् इस अभिलेख को यहूदी शहर के प्राचीन संदर्भों के रूप में उद्धृत करते रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि नेतन्याहू का यह बयान केवल पुरातात्विक वस्तु पर अधिकार का विवाद नहीं है यह पैतृकता, पहचान और यरुशलम पर राजनीतिक अधिकारों की एक संवेदनशील बहस का हिस्सा भी है। हाल के माहों में इजरायल–तुर्की संबंधों में उतार-चढ़ाव दिखाई दिए हैं और यह मामला उन्हीं तनावों में एक और घर्षण बिंदु बन गया है। दोनों देशों के बयानों के बाद कूटनीतिक स्वर तेज हैं और क्षेत्रीय कम-से-कमओल राजनीति में यह मुद्दा और देखभाल मांगता है। आशीष दुबे / 18 सिंतबर 2025